आसमां में बिजली कड़कने लगी है, कुछ दिनो की हाड़ कंपा देने वाली ठंड जब बादल बिल्कुल शांत थे बस सर्दी होती हल्की सी धूप निकलती और फिर से रात हो जाती कहा कुछ अलग हो रहा था वैसे ही जैसे अलग हो कर तुम कौन सा कुछ अलग कर रहे हो? मगर देखो बादलों से रहा नही गया और पूरे मौसम को ही बदल दिया अचानक से चारो तरफ अँधेरा छा गया सभी अपने घरो में जाने लगे, जिन्हे बाहर जाना जरूरी नही था उन्होंने घर में ही रहना ठीक समझा क्योंकि मौसम अपने चरम पर था वो भिगाने वाला था, देखो भीगा भी दिया अपने साथ वो सर्दी,ठंडी हवा और पानी साथ ले आया जैसे वो कहना चाहता हो कब तक शांत रहू और क्यों रहू मुझे भी जल्दी है अपनी आवाज धरती तक पहुचाने की मुझे भी उससे बात करना है मिलना है उसकी मिट्टी में उसके अस्तित्व में
जैसे मुझे भी जल्दी है तुम्हे अपनी हर बात सुनानी की तुम भी बादल बन के हर एक बात पहुँचा देना जरूरी तो नही हमेशा शांत ही रहा जाये जब प्राकृति अपनी हर एक बात को बिना इजाजत के हम तक पहुँचा ही देती है उसने कब इजाजत मांगी किसी से।
वैसे भी शांत रहना कभी कभी बहुत बेचैन कर देता है वो भी तब जाने कितनी बातें बची हो करने को कितने सवाल हो पूछने को कितने जवाब हो देने को
मत रहना मगर शांत बोल देना जी भर के मनुहार चाहना फिर सब कुछ वैसा ही हो जाएगा जैसे बारिश अपनी मनमानी के बाद सबको खुश कर देती है चारो तरफ फिर से चहल पहल ले आती है और सब फिर से एक ही डोर में बंधा लगने लगता है।
बच्चे कागज की कश्तियां बना कर खेलने लगते है
मेरी उंगलियाँ आज भी तुम्हे हर सोशल मीडिया पेज पर ढुंढती है तुम्हे पता है मैंने तुम्हारा नंबर आज भी नही डीलीट किया मगर व्हाट्सअप में चैट हमेशा ब्लेंक ही दिखाती है,फिर भी ना जाने क्यू तुमको mesaage कर ही देती हूँ कि क्या पता आचानक से किसी दिन तुम सभी mesaages पढ लोगे और फिर बातें दो तरफ़ा हो जायेगी। मैंने कहीं पढ़ा था-
जाने वाले बुरे नही होते कभी, मगर सबसे बुरे वो होते है जो बार बार जाकर वापस लौट आते है और फिर चले जाते है जब जाना था तो आये ही क्यों और आना है तो जाओ ही मत।। मैं चाहती हूँ कि तुम भी छोटे बच्चे की तरह जिद कर लो और बोलते ही रहो कैसे कोई नही सुनेगा?
जैसे मुझे भी जल्दी है तुम्हे अपनी हर बात सुनानी की तुम भी बादल बन के हर एक बात पहुँचा देना जरूरी तो नही हमेशा शांत ही रहा जाये जब प्राकृति अपनी हर एक बात को बिना इजाजत के हम तक पहुँचा ही देती है उसने कब इजाजत मांगी किसी से।
वैसे भी शांत रहना कभी कभी बहुत बेचैन कर देता है वो भी तब जाने कितनी बातें बची हो करने को कितने सवाल हो पूछने को कितने जवाब हो देने को
मत रहना मगर शांत बोल देना जी भर के मनुहार चाहना फिर सब कुछ वैसा ही हो जाएगा जैसे बारिश अपनी मनमानी के बाद सबको खुश कर देती है चारो तरफ फिर से चहल पहल ले आती है और सब फिर से एक ही डोर में बंधा लगने लगता है।
बच्चे कागज की कश्तियां बना कर खेलने लगते है
मेरी उंगलियाँ आज भी तुम्हे हर सोशल मीडिया पेज पर ढुंढती है तुम्हे पता है मैंने तुम्हारा नंबर आज भी नही डीलीट किया मगर व्हाट्सअप में चैट हमेशा ब्लेंक ही दिखाती है,फिर भी ना जाने क्यू तुमको mesaage कर ही देती हूँ कि क्या पता आचानक से किसी दिन तुम सभी mesaages पढ लोगे और फिर बातें दो तरफ़ा हो जायेगी। मैंने कहीं पढ़ा था-
जाने वाले बुरे नही होते कभी, मगर सबसे बुरे वो होते है जो बार बार जाकर वापस लौट आते है और फिर चले जाते है जब जाना था तो आये ही क्यों और आना है तो जाओ ही मत।। मैं चाहती हूँ कि तुम भी छोटे बच्चे की तरह जिद कर लो और बोलते ही रहो कैसे कोई नही सुनेगा?
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