प्रयागराज की धरती पर कुम्भ का आगाज हो चुका हैं, विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन जिसमे करोडो लोग आस्था और धर्म की डुबकी लगाते हैं उसी कुम्भ का सबसे आकर्षण भाग हैं नागा साधु जो सबका ध्यान आकर्षित करते हैं
बहुत से विदेशी पर्यटक तो सिर्फ नागाओ के जीवन को जानने के लिये ही कुम्भ में आते हैं। उनका जीवन अपने आप में अनोखा हैं पूरे साल या कहीं आपको ये नही दिखेंगे।
बहुत से विदेशी पर्यटक तो सिर्फ नागाओ के जीवन को जानने के लिये ही कुम्भ में आते हैं। उनका जीवन अपने आप में अनोखा हैं पूरे साल या कहीं आपको ये नही दिखेंगे।
भला हम और आप क्यों पीछे रहे तो आइये जानते हैं कुछ विशेष
सबसे पहली बात नागा साधु और अघोरी बाबाओ में बहुत अंतर होता हैं।।
नागा साधुओ की दुनिया बहुत अलग होती हैं इनकी दीक्षा, रहन सहन पहनावा आदि।
सबसे पहली बात नागा साधु और अघोरी बाबाओ में बहुत अंतर होता हैं।।
नागा साधुओ की दुनिया बहुत अलग होती हैं इनकी दीक्षा, रहन सहन पहनावा आदि।
ऐसा माना जाता है, आदि गुरु शंकराचार्य विदेशी आक्रांताओं से धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे थे।। उन्हे डर था कि अखाड़ो, मठो में आक्रमण के समय यह सब सुरक्षित कैसे रहेंगे?
तभी उन्होंने कुछ युवाओं का गठन किया और उन्हें विशेष ट्रेनिंग देने का निर्णय लिया जो कमांडो ट्रेनिंग से भी कठिन थी नागा साधु उसी का एक हिस्सा है। वर्तमान में जो नागा साधु हैं वह सब उसी का हिस्सा है इसके लिए पहले कठोर जप तप नियम आदि का पालन करना पड़ता है।। जानते है प्रक्रिया
तभी उन्होंने कुछ युवाओं का गठन किया और उन्हें विशेष ट्रेनिंग देने का निर्णय लिया जो कमांडो ट्रेनिंग से भी कठिन थी नागा साधु उसी का एक हिस्सा है। वर्तमान में जो नागा साधु हैं वह सब उसी का हिस्सा है इसके लिए पहले कठोर जप तप नियम आदि का पालन करना पड़ता है।। जानते है प्रक्रिया
कैसे बनते है नागा साधु -
1-कुछ ही मठ नागा बनने की दीक्षा देते हैं, जो व्यक्ति नागा बनना चाहता है उसकी पहले ठीक से जाँच, पड़ताल होती है कि ऐसी क्या परिस्थिति हैं जो वो नागा बनना चाहता है। जब सभी मानक सही पाए जाते हैं तभी उसे अखाड़े में अनुमति मिलती है।
2- इसके बाद व्यक्ति को कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है जब तक कि जो उसको दीक्षा देने वाला है उससे संतुष्ट ना हो जाए इसमें कम से कम 6 महीने से लेकर 12 साल तक का समय लगता है इसमें व्यक्ति को पूर्णता ब्रह्मचर्य पालन करना आता है।
3-फिर व्यक्ति जब इस मानक में खरा उतरता है तो उसके पाँच देव बनाए जाते हैं जो शिव, शक्ति, गणेश, सूर्य और विष्णु हैं।। आमतौर पर ये शिव को ही मानते हैं और शैव संप्रदाय का ही हिस्सा है।
3- ये कड़ी बेहद मुश्किल हैं, इसमें सबसे पहले बाल पूरी तरीके से हटा दिए जाते है फिर इसमे पूरे घर परिवार और खुद का ही पिंड दान देना होता हैं,, पिंड दान मुख्यता मरने के बाद हिंदू धर्म में दिया जाता है आत्मा शांति के लिये मगर जीतेजी वो अपना पिंड दान करते हैं कि अब मैं अपने घर परिवार के लिये मर चुका हूँ।। पिण्ड दान अखाड़े के ही पुरोहित कराते हैं
4- ये प्रक्रिया बेहद मुश्किल मानी जाती हैं जो इनको साधु बनाने के लिये आवश्यक है, इसमे व्यक्ति को 24 घंटे तक नग्न अवस्था में आखाडे के ध्वज के नीचे हाथ में एक कटोरा और कंधे पर छड लेकर बिना कुछ खाये पिये खड़ा होना होता हैं इस दौरान उन पर पूरी निगरानी रखी जाती हैं 24 घंटे के बाद वरिष्ठ नागा साधु विशेष मंत्रो का उच्चारण करते हुए लिंग की एक विशेष नस पकड़ कर खींच लेते हैं जिससे व्यक्ति नपुंसक है उसका लिंग भंग हो जाता है। इसके बाद वह नागा दिगंबर साधु बन जाता है।
3-फिर व्यक्ति जब इस मानक में खरा उतरता है तो उसके पाँच देव बनाए जाते हैं जो शिव, शक्ति, गणेश, सूर्य और विष्णु हैं।। आमतौर पर ये शिव को ही मानते हैं और शैव संप्रदाय का ही हिस्सा है।
3- ये कड़ी बेहद मुश्किल हैं, इसमें सबसे पहले बाल पूरी तरीके से हटा दिए जाते है फिर इसमे पूरे घर परिवार और खुद का ही पिंड दान देना होता हैं,, पिंड दान मुख्यता मरने के बाद हिंदू धर्म में दिया जाता है आत्मा शांति के लिये मगर जीतेजी वो अपना पिंड दान करते हैं कि अब मैं अपने घर परिवार के लिये मर चुका हूँ।। पिण्ड दान अखाड़े के ही पुरोहित कराते हैं
4- ये प्रक्रिया बेहद मुश्किल मानी जाती हैं जो इनको साधु बनाने के लिये आवश्यक है, इसमे व्यक्ति को 24 घंटे तक नग्न अवस्था में आखाडे के ध्वज के नीचे हाथ में एक कटोरा और कंधे पर छड लेकर बिना कुछ खाये पिये खड़ा होना होता हैं इस दौरान उन पर पूरी निगरानी रखी जाती हैं 24 घंटे के बाद वरिष्ठ नागा साधु विशेष मंत्रो का उच्चारण करते हुए लिंग की एक विशेष नस पकड़ कर खींच लेते हैं जिससे व्यक्ति नपुंसक है उसका लिंग भंग हो जाता है। इसके बाद वह नागा दिगंबर साधु बन जाता है।
4- इसके बाद गुरु मंत्र दिया जाता है और इसे गुरु मंत्र पर विशेष आस्था रखनी पड़ती है और कठोर तप का पालन करना होता है।
5- इसके बाद ने भस्म रुद्राक्ष धारण करना पड़ता है भस्म मुख्य पहनावा है यह कह सकते हैं इन्हें गेरुआ रंग के कपड़े पहनने की मनाही है यह अपने शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं लपेट सकते हैं ज्यादा से ज्यादा सिर्फ एक वस्त्र वो भी आगे के भाग में बस चाहे जितनी सर्दी हो गर्मी हो नागाओं को अपने शरीर पर वस्त्र धारण करने की अनुमति नहीं है क्योंकि उन्हें कठिन जीवन शैली से गुजरना पड़ता है।।
5- इसके बाद ने भस्म रुद्राक्ष धारण करना पड़ता है भस्म मुख्य पहनावा है यह कह सकते हैं इन्हें गेरुआ रंग के कपड़े पहनने की मनाही है यह अपने शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं लपेट सकते हैं ज्यादा से ज्यादा सिर्फ एक वस्त्र वो भी आगे के भाग में बस चाहे जितनी सर्दी हो गर्मी हो नागाओं को अपने शरीर पर वस्त्र धारण करने की अनुमति नहीं है क्योंकि उन्हें कठिन जीवन शैली से गुजरना पड़ता है।।
भोजन का अधिकार - नागाओ को सिर्फ एक बार दिन में भोजन करने का अधिकार प्राप्त है, और ये सात बार से ज्यादा भिक्षा नहीं मांग सकते एक दिन में अगर किसी ने इन्हे इन सातो बार में भोजन नहीं दिया तो इन्हे भूखे ही रहना पडता हैं।। इसलिये कभी किसी नागा साधु को अपने घर से खाली हाथ ना लौटाये।
शहर, गाँव से बाहर निवास करना, किसी को प्रणाम न करना और न किसी की निंदा करना नागा साधुओं की दिनचर्या में शामिल है। यह केवल संन्यासी को ही प्रणाम कर सकते हैं।
सिर्फ ये कुम्भ में ही दिखाए पड़ते हैं कुम्भ के बाद ये किसी पर्वत, या हिमालय पर निकल जाते हैं ये बस्ती से समान्य जीवन से दूर ही रहते हैं।
नागा साधु स्वभाव से थोड़े अलग होते है ये हठी होते हैं, इन्हे दुनिया समाज की परवाह नही होती हैं।।
कुम्भ के दौरान ये सबसे पहले ही नहाते है इनके लिए पहले से सब खाली करा दिया जाता हैं ,
पोलिस भी इनकी सुरक्षा में बेहद कड़ी रहती हैं किसी व्यक्ति को इनके दल के बीच में नहीं घुसने देती है कुछ महिलाएं या व्यक्ति पैर छूने का प्रयास करते हैं तो पुलिस तुरंत ही पकड़कर किनारे कर देती है क्योंकि ऐसा माना जाता है नागा रुकता नहीं किसी के लिए एक बार की घटना है कुछ महिलाएं पैर छूने के लिए आगे बढ़ी तो नागा बिना रुके ही आगे बढ़ गए जिससे भगदड़ में महिलाओं की मृत्यु हो गई थी।
नागा साधु स्वभाव से थोड़े अलग होते है ये हठी होते हैं, इन्हे दुनिया समाज की परवाह नही होती हैं।।
कुम्भ के दौरान ये सबसे पहले ही नहाते है इनके लिए पहले से सब खाली करा दिया जाता हैं ,
पोलिस भी इनकी सुरक्षा में बेहद कड़ी रहती हैं किसी व्यक्ति को इनके दल के बीच में नहीं घुसने देती है कुछ महिलाएं या व्यक्ति पैर छूने का प्रयास करते हैं तो पुलिस तुरंत ही पकड़कर किनारे कर देती है क्योंकि ऐसा माना जाता है नागा रुकता नहीं किसी के लिए एक बार की घटना है कुछ महिलाएं पैर छूने के लिए आगे बढ़ी तो नागा बिना रुके ही आगे बढ़ गए जिससे भगदड़ में महिलाओं की मृत्यु हो गई थी।
कुछ चीजे विशेष होती हैं नागा उनमे से ही हैं जो समय पड़ने पर धर्म की रक्षा के लिए और धर्म के व्यक्तियों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं, यह ऐसे किसी से नहीं बोलते हैं मगर कोई इनको देख कर हंसता है,चिल्लाता है या परेशान करता है तो फिर उनके क्रोध की सीमा नहीं रहती है इसलिए उन्हे देखकर दूर से ही प्रणाम करें।।
कुछ लोग झूठी भी नागा साधु बन जाते हैं ये सामन्य दिख जाते है चिलम लगाए और लोगो को गाली देते है या चीज समान मांगते है वो झूठे होते हैं। नागा ऐसे नहीं होते है वो सिर्फ अपने खाने के लिये ही भिक्षा मांगते है वो भी सिर्फ दिन में सात बार उसमे भी कोई नही देता तो भूखे रहते है। ।
नागाओं के पद एवं अधिकार :-
एक बार नागा साधु बनने के बाद उनके पद और अधिकार भी बढ़ जाते हैं। नागा साधु के बाद महंत, श्रीमहंत, तमातिया महंत, थानापति महंत, पीर महंत, दिगंबरश्री, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर जैसे पदों तक जा सकते हैं।
मंडलेश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर के सबसे बड़े पद होते हैं
एक बार नागा साधु बनने के बाद उनके पद और अधिकार भी बढ़ जाते हैं। नागा साधु के बाद महंत, श्रीमहंत, तमातिया महंत, थानापति महंत, पीर महंत, दिगंबरश्री, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर जैसे पदों तक जा सकते हैं।
मंडलेश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर के सबसे बड़े पद होते हैं
बहुत अच्छी जानकारी दी.... धन्यवाद
ReplyDeleteThankyou.. Keep reading and sharing
Deleteबढ़िया जानकारी प्राप्त हुई आपके लेख से
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