कानपुर अपनी कुछ बातों के अलावा अपनी कई धरोहरो के लिये भी प्रसिद्ध है। JK मंदिर उनमे से एक है इसे राधाकृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है मंदिर अपने आप में बेहद खूबसूरत और नक्काशी के बेहतरीन प्रयोग को बताता है, प्राचीन और आधुनिक शैली का सामंजस्य इस मंदिर में देखने को मिलता है, ये मंदिर देश के प्रसिद्ध JK Trust के द्वारा 2 मई 1960 में बनवाया गया और उनके ही द्वारा संरक्षण प्राप्त है। राधाकृष्ण की मूर्ति बीच में मुख्य मूर्ति की तरह रखी है।राधा कृष्ण को ही मंदिर समर्पित है इसे अल्वान लक्ष्मीनारायण, अर्धनारीश्वर, नर्मदेश्वर और वीर हनुमान को भी मंदिर समर्पित है, महंगी और खूबसूरत झालरे और झूमर मंदिर की शान बढाती है, मंदिर की दीवालो और छत में भी आपको एक गजब की नक्काशी देखने को मिलेगी।
इसके इतर अगर आपको वास्तु का ज्ञान हो या करना हो तो जरूर इस मंदिर को जानिये क्योंकि महामहोपाध्याय आदित्य पांडेय बताते हैं कि मंदिर का निर्माण पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश) के सही क्रम से किया गया है। मंदिर का मुख्यद्वार (नजीराबाद थाने की ओर से) से राधाकृष्ण साफ नजर आते हैं। मुख्य द्वार पृथ्वी तत्व होता है। इसके बाद आता है जल तत्व। मुख्य द्वार से होते ही जैसे ही आप थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो शानदार फव्वारा आपका मन खुश कर देगा। इसके बाद मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़कर आप जैसे ही द्वार पर पहुंचेंगे तो यहां आपको यज्ञ आदि के लिए स्थान नजर आएगा। यह तत्व है अग्नि। इसके बाद मंदिर के भीतर दाखिल होते ही आपको बड़ा सा हॉल नजर आएगा। यह सूचक है वायु तत्व का। इसके बाद जब आप सिर ऊपर उठाकर देखेंगे तो विशाल गुंबद आपको नजर आएगा। यह आकाश तत्व है। यानी की सभी का सही क्रम में प्रयोग किया गया। शिखर के ठीक नीचे राधाकृष्णजी विराजमान है। मंदिर में कुल पांच शिखर हैं। इसमें केंद्र शिखर सबसे ऊंचा है।
मंदिर पूर्णयता निशुल्क है। तथा समय सोमवार - शुक्रवार:
6:00 AM -8:00 PM
शनिवार:
6:00 AM -8:00 PM
रविवार:
6:00 AM -8:00 PM
सार्वजनिक छुट्टियाँ:
6:00 AM -8:00 PM
इसके इतर अगर आपको वास्तु का ज्ञान हो या करना हो तो जरूर इस मंदिर को जानिये क्योंकि महामहोपाध्याय आदित्य पांडेय बताते हैं कि मंदिर का निर्माण पंचतत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश) के सही क्रम से किया गया है। मंदिर का मुख्यद्वार (नजीराबाद थाने की ओर से) से राधाकृष्ण साफ नजर आते हैं। मुख्य द्वार पृथ्वी तत्व होता है। इसके बाद आता है जल तत्व। मुख्य द्वार से होते ही जैसे ही आप थोड़ा आगे बढ़ेंगे तो शानदार फव्वारा आपका मन खुश कर देगा। इसके बाद मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़कर आप जैसे ही द्वार पर पहुंचेंगे तो यहां आपको यज्ञ आदि के लिए स्थान नजर आएगा। यह तत्व है अग्नि। इसके बाद मंदिर के भीतर दाखिल होते ही आपको बड़ा सा हॉल नजर आएगा। यह सूचक है वायु तत्व का। इसके बाद जब आप सिर ऊपर उठाकर देखेंगे तो विशाल गुंबद आपको नजर आएगा। यह आकाश तत्व है। यानी की सभी का सही क्रम में प्रयोग किया गया। शिखर के ठीक नीचे राधाकृष्णजी विराजमान है। मंदिर में कुल पांच शिखर हैं। इसमें केंद्र शिखर सबसे ऊंचा है।
मंदिर पूर्णयता निशुल्क है। तथा समय सोमवार - शुक्रवार:
6:00 AM -8:00 PM
शनिवार:
6:00 AM -8:00 PM
रविवार:
6:00 AM -8:00 PM
सार्वजनिक छुट्टियाँ:
6:00 AM -8:00 PM
शानदार लेखन व कानपुर की शान जे के मन्दिर
ReplyDeleteजी सही कहा आपने
Deleteगंगा बैराज भी तो खूबसूरत दिखने लगा है तान्या
ReplyDelete