Monday, November 5, 2018

सोनपापड़ी अजर-अमर है।

स्त्री फ्लिम का एक डाइलॉग हे स्त्री तुम कल आना, ऐसा कुछ सोनपापड़ी के साथ होता है। हम सोनपापड़ी से बोलते है हे सोनपापड़ी अगली दीवाली को आना। लेकिन स्त्री और सोनपापड़ी दोनों अजर-अमर है दोनों हर बार वापस आती है।


सोनपापड़ी अपने जीवन में बहुत संघर्ष करती है, वो जीवन भर इस घर से उस घर जाती रहती है लेकिन कभी खत्म नहीं होती और न ही उसको कोई इज़्ज़त देता है, इसका बदला सोनपापड़ी वापस आकर लेती है।

जब भी कोई सोनपापड़ी को खाने की कोशिश करता है तो सोनपापड़ी टूटना शुरू कर देती है क्योंकि उसे पता है कि जो उसे खा रहा है वो बस जबरदस्ती ही खा रहा है, और सोनपापड़ी को जबरदस्ती का कुछ भी पसंद नहीं है।
उसने जबरजस्ती से बचने के लिए खुद को तोड़ना शुरू कर दिया जिससे लोग उससे दूर रहे

सोनपापड़ी के डब्बे का कवर बदलने से कुछ नहीं होगा, क्योंकि डब्बे के अंदर एक दुत्कारी हुई सोनपापड़ी की आत्मा है जिसको सब ने नकार दिया है।

सोनपापड़ी भी चाहती है लोग उसे काजु कतली की तरह प्यार करें,रसगुल्ले की तरह उसे भी रोसो-गुल्ला कहे बन बन के कई नाम दे इतराये मगर नही उसे कहा ये सब
 वो इसी प्यार की मारी है जिस दिन उसे ये प्यार मिल जाएगा वो चली जायेगी। लेकिन समाज उसे वो इज़्ज़त कभी नहीं देने वाला इसलिए सोनपापड़ी अजर-अमर ही रहेगी।।

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