Saturday, December 29, 2018

दूरियाँ- दूर जाके पास आना ही प्यार हैं।(भाग 2)

सुधा को ड्रॉप करने के बाद दीपक भी अब अपने फ्लैट में पहुँच चुका था।
सोने से पहले उसने कुछ जरूरी फाइल निपटाई,जो उसे कल अपने बॉस को दिखानी थी।। दीपक अपने काम में बहुत एक्टिव था,हर काम को डेड लाइन से पहले देने के लिये दीपक सबकी नजरो में था।। यहीं सब खूबियां उसकी ऑफिस में कुछ लोगो को मन ही मन जला रही थी।
मगर दीपक ने उन लोगो पर कभी ध्यान ही नहीं दिया था।।
सभी काम करने के बाद गुड नाईट का संदेश सुधा को भेज कर दीपक सो गया।। आप जिनको अपना समझते हैं उन्हे चाहे कितना भी बिजी हो याद आ ही जाते है गाहें बगाहे
  "अनमोल होते है रिश्ते
कोई याद करे ना करें फिर भी इंतज़ार रहता है।। "
अगली सुबह रोज की तरह खाना बनाने वाली  मेड दीदी आई।।
दीदी - भैया चाय बना दूँ कि काफी
दीपक - दीदी आज कॉफी ही बना दो और नाश्ते में गोभी के पराठें बना देना वहीं मैं ऑफिस लेता जाऊंगा।।
दीदी - ठीक है भैया
दीपक  तैयार होकर ऑफिस गया काफी चहल पहल थी, सब बधाई देने लगे दीपक कुछ समझ नही पाया,, फिर पीछे से आकर पवन ने कहा -दीपक बाबू बधाई हो अब तो आप सीनियर जावा हेड बना दिये गये हो
आज तो पार्टी बनती ही है।।
बधाई का सिलसिला जारी था मगर कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्हे ये मन ही मन बहुत खराब लगा।।
दीपक ने फोन करके सुधा को बताया कि उसका इंक्रीमेंट हो गया है सुधा भी खुश थी दीपक की चहकती आवाज से और काम में लग गया।
शाम को मीटिंग थी।।आज दीपक को ही अपने प्लांस company को लेकर बताने थे।।
शाम को 4 बजे कोर मीटिंग रखी गई दीपक ने अपने प्लांस सभी के सामने प्रेजेंट किये।
बॉस काफी खुश थे, मीटिंग के बाद दीपक ने काफी वाहवाही लूटी।
वही मयंक और सुधीर को दीपक की ये बातें बिल्कुल भी नहीं अच्छी लग रही थी।
मयंक और सुधीर दोनो ने दीपक के साथ ही  join किया था, दीपक की सफलता इतनी जल्दी देख के और उसके व्यवहार कौशल की वजह से ये दोनो मन ही मन चिढते थे, मगर कभी खुल के नहीं कहा था।
दीपक ने ऑफिस की पार्टी 2 दिन बाद की रखी।
दीपक ने सोचा सुधा को भी वो ऑफिस पार्टी में बुला ले, शाम को घर पहुँच कर सबसे पहला कॉल उसने सुधा को ही किया उसने

कितना बेचैन था वो,सुधा से बात करने के लियेे जैसे बच्चे बेचैन हो जाते है किंडर जॉय से निकलने वाले गिफ्ट के लिये।
हैलो सुधा- दीपक ने चहकते हुये कहा
सुधा-मुझे नहीं बात करनी जाओ पहले जहाँ busy थे जाओ वहीं,सुधा ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा
अब तो तुम मुझे धीरे धीरे इग्नोर ही कर रहे सुधा ने बचकाने पन में कहा
दीपक भी सुधा की बात समझ रहा था वो जानता था सुधा का गुस्सा जायज है।
        "प्यार में शिकायते, नोकझोक ही तो हमें अपने में और सुधार लाने को प्रेरित करती है और खुद से भी प्यार करना सिखाती हैं "।
         दीपक -  अच्छा बाबा एक बार मेरी बात तो सुन लो फिर तुम जितना गुस्सा करना हो कर लेना।
हाँ बोलो -  सुधा ने कहा
दीपक अपनी बात शुरू करता है और सब बता डालता है सुधा को
अच्छा सुनो सुधि तुम्हे भी आना है ऑफिस पार्टी में -  दीपक ने कहा
दीपक जब भी प्यार में होता था उसे सुधि ही कहता था।
       "प्यार की पहली शर्त ही होती है जब आप किसी के करीब आते हौ उसके जाने कितने अजीबो गरीब नाम रख देते है"।

अच्छा अब जाओ पहले खाना खाओ जाकर कितना काम था आज-  सुधा ने आदेश देते हुए कहा
  हाँ प्यार में जब भी खाने की बात होती है तो हम आदेश जैसा ही देते है कि मेरे बाबू को अब खाना,,खाना ही पड़ेगा।
दीपक कुछ देर बात करने के बाद चल दिया था खाने के लिये।
  खाने के बाद उसने सुधा को फोन किया, (स्वीट नथिंगस् )बातें हुई।
बात करते करते कब दीपक सो गया समझ ही नहीं पाया।
दो दिन बात वो दिन भी आया जब ऑफिस में आज दीपक को पार्टी देनी थी।
दीपक ने सुधा को फोन करके बता दिया था की वो जा रहा हैं
सुधा तुम टाइम से आ जाना या मुझे कॉल कर देना मै खुद आकर तुम्हे पिक कर लूँगा

इसके पहले का भाग और अगला भाग पढ़ना बिल्कुल ना भूलियेगा आखिर क्या वजह थी जो ये बात हुई क्या किया फिर
दिलचस्प होगा।

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