Saturday, December 8, 2018

जरूर आना तुम

जब मन हो आना तुम,
समय ना हो तो समय निकालना तुम।

आकर छु लेना हथेलियों को यूहीं
जैसे सर्दी में आग की आंच छुं लेती है हथेलियों को
और देती है सुकून

आ जाना और लगा लेना गले ऐसे
जैसे कोई माँ अपने बिछड़े बच्चे को लगा लेती है गले

मगर आना तुम,

देखना आँखो में ऐसे तुम ऐसे जैसे चाहते हो मन में बस जाना
रोक देना समय को ऐसे तुम जैसे बच्चे खेलते समय रोक देना चाहते है अपने होमवर्क को।

आना तुम, आ जाना तुम कभी ना जाने के लिये।
मगर आना तुम

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