तुम्हे याद करना मुश्किल नही है,
सबसे ज्यादा मुश्किल तो तुम्हे भूल जाना लगता है मुझे। तुम्हे कोई भूलना भी चाहे तो कैसे भुल सकता है जब देखो चटर पटर कित्ता बोलती हो तुम।। वैसे दुनिया में खूबसूरती के कई आयाम है, बहुत सी बातें है मगर तुम मुझे उन बातों से उन किस्सो से हजार गुना ज्यादा सुंदर लगती हो।
बड़ी से बड़ी परेशानी में शांत रहना और छोटी से परेशानी में मुझे एकदम से परेशान कर देना।।
हाँ तुम,
तुम ही, खामोश होकर हर बात क्यू सुन रही अभी भी नही समझ पाई की मै तारीफ कर रहा हूँ या शिकायते तुमसे?
सबसे ज्यादा मुश्किल तो तुम्हे भूल जाना लगता है मुझे। तुम्हे कोई भूलना भी चाहे तो कैसे भुल सकता है जब देखो चटर पटर कित्ता बोलती हो तुम।। वैसे दुनिया में खूबसूरती के कई आयाम है, बहुत सी बातें है मगर तुम मुझे उन बातों से उन किस्सो से हजार गुना ज्यादा सुंदर लगती हो।
बड़ी से बड़ी परेशानी में शांत रहना और छोटी से परेशानी में मुझे एकदम से परेशान कर देना।।
हाँ तुम,
तुम ही, खामोश होकर हर बात क्यू सुन रही अभी भी नही समझ पाई की मै तारीफ कर रहा हूँ या शिकायते तुमसे?
सुधा की तस्वीर पर हाथ फेरते हुए दीपक ने कहा।
यूँ तो वो ये सब बातें सुधा से ही कहना चाहता था उसके चेहरे को देखते हुए ये तमाम बातें उसे बताना चाहता था।
मगर दूर था वो सुधा से बहुत दूर।
यूँ तो वो ये सब बातें सुधा से ही कहना चाहता था उसके चेहरे को देखते हुए ये तमाम बातें उसे बताना चाहता था।
मगर दूर था वो सुधा से बहुत दूर।
"किसी को याद करना इतना मुश्किल नही होता है
मुश्किल तो ये होता है ना जिसे आप प्यार करते हो उसे भूल जाना"
दीपक याद कर रहा था कैसे पिछले दिसम्बर में सर्दी की यही शाम थी ,दोनो शहर की हर गली चौराहे को नापते हुए मोमोज खाने के लिए रुके थे।। चटनी काफी तीखी थी। सुधा की नाक लाल थी और वो दीपक पर गुस्सा कर रही थी की ले लिया ना बदला मैं जो तुमसे लड़ी थी।।अब इसमे दीपक की भी क्या गलती थी उसने तो कोई जानबुझ कर ऐसा किया नही था।। पानी पीने और 2 चॉकलेट खाने के बाद दोनो चल दिये थे। दीपक bike चला रहा था। सुधा छोटे बच्ची की तरह उसे जकड़ कर बैठी थी एकदम प्यार से जैसे वो कहीं चला जाएगा।
दीपक मेरा मन करता है तुम पूरी जिंदगी यूही गाड़ी चलाते रहे और मैं ऐसे ही बैठे बैठे दुनिया नाप लू
अच्छा मै रोबोट हूँ ना और तुम पीछे बैठ कर आराम करो तुम्ही तो चालाक हो।
दोनो खिखिलाकर हस पड़े थे
सुधा का घर आ गया था
दीपक उसे ड्रॉप करके अपने घर की ओर चल दिया था अकेले उसे भी तो नही अच्छा लगता है ,कोई भी सफर कोई भी दिन जिसमे सुधा ना हो।।
जिंदगी ऐसे ही शानदार चल रही थी। एक परिवार हो शानदार प्यार करने वाला साथी हो जिसके साथ आप सब सुख दुख बाँट सके सुकूनू का समय बिता सके, इतने पैसे जिनसे जरूरते पूरी हो सके और कुछ गिनती के दोस्त हो।
और चाहिए ही क्या इंसान को??
दीपक के पास सब तो था इंजीनियरिंग करने के बाद कैंपस सेलेक्शन हुआ था।।
सुधा से वो अपनी एक कॉलेज के दोस्त के जरिये मिला था।।
इंजीनियरिंग के आख़िरी साल में वो मिला था मगर उसने सुधा को जाना समझा हर चीज की थी जो इंसान इश्क़ में करता है
एक तो दीपक प्यार में था,दुसरा enginner भी था
तो शिद्दत से इश्क़ निभाना तो उसकी निशानी थी
क्योंकि इंजीनियरिंग वाला बंदा लाइफ में सच्चा इंजीनियर बने ना बने मगर आशिक, राइटर, poet, बिजनेस मैन सब कुछ बन जाता है,
जो बनना होता है, बस उसे छोड़कर
मगर दीपक इंजीनियर भी बन गया था फिलहाल
करीब 2 साल हो गये थे मगर दीपक अभी भी पहले की तरह ही था, हसता खेलता खुश था अपनी जिंदगी से।।
मुश्किल तो ये होता है ना जिसे आप प्यार करते हो उसे भूल जाना"
दीपक याद कर रहा था कैसे पिछले दिसम्बर में सर्दी की यही शाम थी ,दोनो शहर की हर गली चौराहे को नापते हुए मोमोज खाने के लिए रुके थे।। चटनी काफी तीखी थी। सुधा की नाक लाल थी और वो दीपक पर गुस्सा कर रही थी की ले लिया ना बदला मैं जो तुमसे लड़ी थी।।अब इसमे दीपक की भी क्या गलती थी उसने तो कोई जानबुझ कर ऐसा किया नही था।। पानी पीने और 2 चॉकलेट खाने के बाद दोनो चल दिये थे। दीपक bike चला रहा था। सुधा छोटे बच्ची की तरह उसे जकड़ कर बैठी थी एकदम प्यार से जैसे वो कहीं चला जाएगा।
दीपक मेरा मन करता है तुम पूरी जिंदगी यूही गाड़ी चलाते रहे और मैं ऐसे ही बैठे बैठे दुनिया नाप लू
अच्छा मै रोबोट हूँ ना और तुम पीछे बैठ कर आराम करो तुम्ही तो चालाक हो।
दोनो खिखिलाकर हस पड़े थे
सुधा का घर आ गया था
दीपक उसे ड्रॉप करके अपने घर की ओर चल दिया था अकेले उसे भी तो नही अच्छा लगता है ,कोई भी सफर कोई भी दिन जिसमे सुधा ना हो।।
जिंदगी ऐसे ही शानदार चल रही थी। एक परिवार हो शानदार प्यार करने वाला साथी हो जिसके साथ आप सब सुख दुख बाँट सके सुकूनू का समय बिता सके, इतने पैसे जिनसे जरूरते पूरी हो सके और कुछ गिनती के दोस्त हो।
और चाहिए ही क्या इंसान को??
दीपक के पास सब तो था इंजीनियरिंग करने के बाद कैंपस सेलेक्शन हुआ था।।
सुधा से वो अपनी एक कॉलेज के दोस्त के जरिये मिला था।।
इंजीनियरिंग के आख़िरी साल में वो मिला था मगर उसने सुधा को जाना समझा हर चीज की थी जो इंसान इश्क़ में करता है
एक तो दीपक प्यार में था,दुसरा enginner भी था
तो शिद्दत से इश्क़ निभाना तो उसकी निशानी थी
क्योंकि इंजीनियरिंग वाला बंदा लाइफ में सच्चा इंजीनियर बने ना बने मगर आशिक, राइटर, poet, बिजनेस मैन सब कुछ बन जाता है,
जो बनना होता है, बस उसे छोड़कर
मगर दीपक इंजीनियर भी बन गया था फिलहाल
करीब 2 साल हो गये थे मगर दीपक अभी भी पहले की तरह ही था, हसता खेलता खुश था अपनी जिंदगी से।।
Great tribute to engineer #thanktanyaji
ReplyDeleteTrue
ReplyDeleteTrue
ReplyDeletecarry on...madam.. ye aag lagana wala
ReplyDeleteh