Monday, October 15, 2018

Ek Rishta aisa bhi-4

आज की सुबह अनुज और स्नेहा के लिए बहुत खास थी क्योंकि जिसे अनुज कंजूस कहाँ करता था आज उसने उसे कॉफी पर इन्विटेशन दिया था

स्नेहा- तुम कब तक आ जाओगे जल्दी आ जाना मैं पेपर पढ़ना नहीं छोड़ती
अनुज-अच्छा बाबा मैं आ जाऊंगा जल्दी आज साथ में पेपर पढ़ते है।

स्नेहा और अनुज कॉफी हाउस पहुँचते है स्नेहा जाते ही दो पेपर उठा लेती है और अनुज कॉफी का ऑर्डर देने चला जाता है।

स्नेहा पेपर पढ़ना शुरू कर देती है, और स्नेहा एकदम एक लड़के की फोटो पेपर में देख कर रुक सा जाती है

अनुज- कौन है ये स्नेहा
स्नेहा-कोई नहीं है ऐसे ही देख रही हूँ

अनुज के बार-बार बोलने पर स्नेहा बताना शुरू करती है

स्नेहा बताते-बताते  उन तमाम पुरानी यादों में खो जाती है।आज से 3 साल पहले कैसे वो और मोहित साथ थे ना,, कितने सपने देखे थे स्नेहा ने मोहित के साथ
कितना प्यार करती थी  वो मोहित से
और मोहित उससे हमेशा कहा करता था ।स्नेहा हमारे घर में बच्चो की  जरूरत नही पडेगी क्योकि सबसे छोटी बच्ची जो जाएगी।
कैसे जब स्नेहा सर्दियों में जब चटक लाल रंग की जैकेट पहनती थी
तो मोहित खुद आगे बढ़ कर उसकी कैप लगा देता था और कहता था अब लग रही हो तुम पूरी बच्ची छोटी सी बच्ची।।
स्नेहा चिढ़ते हुए -मुझे बच्ची ना कहा करो समझे।।
और ऐसे दोनों की तीखी नोक झोंक।।
कितना खूबसूरत था दोनों के बीच सब
कैसे 2 दिन भी बात ना हो तो बेचैन हो जाते थे
हा यही तो होता है प्यार
जब आप बच्चो की तरह एक दूसरे को बिना किसी उम्मीद के इश्क़ करते हो
कितना हसीं है ना ये प्यार भी
मिल जाये तो ज़िन्दगी सम्भाल देता है और ना मिले तो कुछ ना मिटने वाली यादें।।
                अनजान हूं मैं इस इश्क़ के सिलसिले से,
                  टूट जाता है इंसान प्यार करते करते  ।।
 स्नेहा को सभी धुधली यादे आज आंखों के सामने बार बार आ रही थी।।
दोनों का सुबह एक साथ पार्क में टाइपिंग क्लास के को गुल करके जाना फिर घन्टो उन बातों को करना जिनका कोई मतलब नही होता।।
                    "अब जहाँ मतलब होता है,वहां रिश्ता भी तो नही होता''

फिर कैसे एक दिन सब बदल गया था,मोहित की ज़िंदगी में कोई और था ,,मीनाक्षी
मीनाक्षी मोहित से उम्र में 4 साल छोटी थी और अब मोहित उससे प्यार करने लगा था।।
वैसे वो प्यार ही क्या जो हर एक से जो जाए फिर भी जो था स्नेहा की ज़िंदगी में बहुत बड़ा तूफान था
सब कुछ बर्बाद हो गया था
स्नेहा ने कितनी कोशिश की थी मोहित को पास लाने की क्या कुछ नहीं किया
रोई, मिन्नतें की
हर वो रास्ता अपनाया जिससे मोहित फिर से आ जाये
मगर एक दिन वो टूट गई जब मोहित ने कहा हाथ जोड़ रहा तुम्हारे दूर हो जाओ यार मेरी लाइफ से ,मै मीनाक्षी से बहुत प्यार करता हूं नही रह पाऊंगा उसके बिना प्लीज दूर हो जाओ
मेरी गलती थी तुम।।

ये सब सुनके स्नेहा का दिल बैठ सा गया था
क्या ये सिर्फ एकतरफा प्यार था
क्या मोहित के लिए सिर्फ attraction था प्यार नही करता था मोहित
ऐसे हज़ारो सवाल वो खुद से बार बार पूछ रही थी
कितना रोई थी वो
एक लड़की जब प्यार में रोती है तो वो जितने आंसू गिराती है उतना ही मज़बूत होती जाती है
 उसने भी सोच लिया था अब कभी मोहित के रास्ते में नही आएगी।।भुल जाएगी सब।।अचानक फोन बजा।।देखा तो 2 मिसकॉल आफिस से बॉस की
10 मिसकॉल
मोहित की
और घर से माँ की 4 मिसकॉल लगी थी
अचानक चौकी वो कहा किन ख्यालो में खोई है जिनका कोई मतलब अब
आगे बढने का नाम ही तो ज़िन्दगी है।


अनुज ये सब सुन कर कुछ देर तक शांत हो जाता है, और फिर वो बोलता है जो बीत गई सो बीत गई। और अब अनुज और स्नेहा दोनों की कॉफी खत्म हो जाती है।

अनुज अब एक नई सोच में पड़ जाता है और स्नेहा भी सोचती है क्या उसने सही किया बता कर||


देखना दिलचस्प होगा की कहानी किस मोड़ पर आके खत्म होगी,
मुझे पता है आप सबको भी बेसब्री से इंतजार है ।
बस एक पार्ट और आपका थोड़ा सा इंतजार ।।
वैसे पढ़ते रहना भी अच्छा है ना
पढ़िये और यूँही प्यार बनाये रखिये
फॉलो भी कर दीजियेगा
आगे आने वाली अलग अलग कहानियों के लिए
 Topics कर लिए।।।

4 comments:

  1. Badiya likhe ho app .... Aise hi hum sabhi ko bathe rakhiye apni kahaniyo main....

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  2. ya to clear h . Aj kl log feeling(love) ki koi kadr nhi h

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  3. ya to clear h . Aj kl log feeling(love) ki koi kadr nhi h

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