एक मंदिर जो विवादों से घिरा रहा, फैसला कोर्ट से आया लेकिन लोग फैसले को पचा नहीं पाए। धर्म और कानून एक दूसरे के आमने-सामने खड़े हो गये
: धर्म और क़ानून की लड़ाई में क्या आधी आबादी अपने अधिकारों से वंचित रह जायेगी
क्या सिर्फ उन दिनों की वजह से जीवन के महत्वपूर्ण 50 सालो तक मंदिर प्रवेश पर रोक लगेंगी
क्या लोग अब मंदिर प्रशासन और सुप्रीम कोर्ट से बडे हो गए है|
आखिर किस हक़ पर आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी मजाक बना रहे है
आखिर क्या दिक्कत है आपकी विशेष उम्र की महिलाओं से??
लोग खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा दिखा रहे
क्या पाप है सृष्टि चक्र को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में योगदान देना?
आखिर क्यों है हंगामा??
कहाँ है सबरीमाला मंदिर-
सबरीमाला मंदिर केरल तिरुवनंतपुरम से 175 km से पम्पा नामक जगह से कुछ दूरी पर पहाड़ियों से घिरे स्थान पर है सबरीमाला मंदिर।।
ये मंदिर अत्यंत खूबसूरत और अपने आप मे विशेष शांति लिए होये है।।ये मंदिर साल में 2 बार विशेष मासिक पूजा के लिए खुलता है।
अयप्पा भगवान की पूजा-
इस मंदिर में विशेष तौर पर प्रभु अयप्पा की पूजा होती है जिन्हें शिव का तीसरा पुत्र भी कहा जाता है।।
भगवान अयप्पा का जन्म शिव और विष्णु के मिलन से हुआ था|
परंतु ये मिलना शारीरिक ना होके उनकी शक्तियों से हुआ था
इसलिए प्रभु अयप्पा का महत्व और बढ जाता है।।
इनके बारे में ये बात बहु प्रचलित है कि ये अविवाहित रहे।।
क्या है विवाद-मान्यता है प्रभु अयप्पा ब्रह्मचारी थे एवं सदैव ब्रह्मचर्य का पालन किया ,800 साल पुराने इस मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है,वैसे ये कारण महिलाओं के मासिकधर्म के कारण है
इस मंदिर में प्रवेश के 40 दिन पहले से ही आपको हर तरह से पवित्र रहना होता है,मांस मच्छी,सभी बुरी चीजो का परित्याग करना होता है।।फिलहाल ये सही है की आप मदिरा मांस का परित्याग करते है
और अपने विचारों को सही करते है ।।
परन्तु सुप्रीम कोर्ट के महिलाओं कर हक़ में निर्णय कर बाद भी महिलाओं को बिना किसी कारण के रोके जाना अपने आप में बहुत सवाल खड़ा करता है।।
क्योकि अगर स्त्री का ये गुण नही होगा तो सृष्टि चक्र ही रुक जाएगा
ये बात कुछ समझ नही आती
और इसका कोई ठोस तर्क भी नही है कि आप महिलाओं को दूर करे उनके प्रिय भगवान से,
जब हर जाति हर धर्म के लिए मंदिर खुला है तो सिर्फ 10-50 साल के लिए आपका इतना गुस्सा क्यों है??
और जब कोर्ट ने भी महिलाओं के हक़ में फैसला दिया तो कुछ लोगो को ये बात भी कड़वी लग गईं।।।
वैसे महिलाओं को प्रवेश की अनुमति का खुशी खुशी स्वागत करना चाहिए
और सिर्फ इस आधार पर इतने सालों से एक बहुत बड़े हिस्से को मंदिर से दूर रखा गया
ये बात कुछ समझ नही आती
और हर एक को ये समझ होती है की कब उसे शारीरिक,मानसिक और व्यवहारिक रूप से पवित्रता के साथ अपने प्रभु के दर्शन करने है।।
और जब मंदिर प्रशासन और कोर्ट दोनों ने ही निर्णय दिया है
तो ये स्वागतयोग्य
हमे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए आधी आज़ादी को मुबारकबाद देते हुए खुश होना चाहिए।
: धर्म और क़ानून की लड़ाई में क्या आधी आबादी अपने अधिकारों से वंचित रह जायेगी
क्या सिर्फ उन दिनों की वजह से जीवन के महत्वपूर्ण 50 सालो तक मंदिर प्रवेश पर रोक लगेंगी
क्या लोग अब मंदिर प्रशासन और सुप्रीम कोर्ट से बडे हो गए है|
आखिर किस हक़ पर आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी मजाक बना रहे है
आखिर क्या दिक्कत है आपकी विशेष उम्र की महिलाओं से??
लोग खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा दिखा रहे
क्या पाप है सृष्टि चक्र को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया में योगदान देना?
आखिर क्यों है हंगामा??
कहाँ है सबरीमाला मंदिर-
सबरीमाला मंदिर केरल तिरुवनंतपुरम से 175 km से पम्पा नामक जगह से कुछ दूरी पर पहाड़ियों से घिरे स्थान पर है सबरीमाला मंदिर।।
ये मंदिर अत्यंत खूबसूरत और अपने आप मे विशेष शांति लिए होये है।।ये मंदिर साल में 2 बार विशेष मासिक पूजा के लिए खुलता है।
इस मंदिर में विशेष तौर पर प्रभु अयप्पा की पूजा होती है जिन्हें शिव का तीसरा पुत्र भी कहा जाता है।।
भगवान अयप्पा का जन्म शिव और विष्णु के मिलन से हुआ था|
इसलिए प्रभु अयप्पा का महत्व और बढ जाता है।।
इनके बारे में ये बात बहु प्रचलित है कि ये अविवाहित रहे।।
क्या है विवाद-मान्यता है प्रभु अयप्पा ब्रह्मचारी थे एवं सदैव ब्रह्मचर्य का पालन किया ,800 साल पुराने इस मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है,वैसे ये कारण महिलाओं के मासिकधर्म के कारण है
इस मंदिर में प्रवेश के 40 दिन पहले से ही आपको हर तरह से पवित्र रहना होता है,मांस मच्छी,सभी बुरी चीजो का परित्याग करना होता है।।फिलहाल ये सही है की आप मदिरा मांस का परित्याग करते है
और अपने विचारों को सही करते है ।।
परन्तु सुप्रीम कोर्ट के महिलाओं कर हक़ में निर्णय कर बाद भी महिलाओं को बिना किसी कारण के रोके जाना अपने आप में बहुत सवाल खड़ा करता है।।
क्योकि अगर स्त्री का ये गुण नही होगा तो सृष्टि चक्र ही रुक जाएगा
ये बात कुछ समझ नही आती
और इसका कोई ठोस तर्क भी नही है कि आप महिलाओं को दूर करे उनके प्रिय भगवान से,
जब हर जाति हर धर्म के लिए मंदिर खुला है तो सिर्फ 10-50 साल के लिए आपका इतना गुस्सा क्यों है??
और जब कोर्ट ने भी महिलाओं के हक़ में फैसला दिया तो कुछ लोगो को ये बात भी कड़वी लग गईं।।।
वैसे महिलाओं को प्रवेश की अनुमति का खुशी खुशी स्वागत करना चाहिए
और सिर्फ इस आधार पर इतने सालों से एक बहुत बड़े हिस्से को मंदिर से दूर रखा गया
ये बात कुछ समझ नही आती
और हर एक को ये समझ होती है की कब उसे शारीरिक,मानसिक और व्यवहारिक रूप से पवित्रता के साथ अपने प्रभु के दर्शन करने है।।
और जब मंदिर प्रशासन और कोर्ट दोनों ने ही निर्णय दिया है
तो ये स्वागतयोग्य
हमे कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए आधी आज़ादी को मुबारकबाद देते हुए खुश होना चाहिए।
Bhut shi👌
ReplyDeleteBahut Achche hi
ReplyDeleteProfile me social ki spelling glt hai shi kro😁
ReplyDeleteThank-you btane ke liye acha lga itni bdi profile main apne Sirf itna dekha aur comment krke btaya...thnks dear
DeleteMaine whole profile dekha☺️
ReplyDeleteAnyways wlcm☺️
This comment has been removed by the author.
DeleteSahi prashna uthaya apne ... Apko aur apke jaise matao bahno ko bhadhai ye toh sirf suruat hai ...
ReplyDeleteAise hi badthe rahiye aur thanks logo main ek jagrukta lane ke liye
बहुत दिनों से प्रयास कर रहा था ,की अपनी राइटर बहन का इसका माकूल जवाब दिया जाय ,आज जाकर कोशिश पूरी हुई ,जब कोई व्यक्ति बाल ब्रह्मचारी रहा ,उसने ऐसे कर्म किये जिनके उसको भगवान की पदवी मिली ,या वो भगवान हुआ।जब उसने अपने जीते जी किसी महिला का स्पर्श नही किया ,तो क्या किसी महिला को अधिकार है, की उनको स्पर्श करें ,लेकिन नही हम आधुनिक 21वी सदी वाले मंद बुद्धि।गाँव की भाषा मे अधकुचरे,चकई, छिंदर टाइप के लोग हैं, जो हमको मन करोगे उसको हम किसी के भी हुष्कावे मे आके हम उस कार्य को करेंगे ,केवल की महिलायें खुद कह रही है, की हमे मंदिर मे नही जाना है, लेकिन ये कह रही है,हम जायेगे, केरल के मंदिर जाना किसको हैं ,मुस्लिम समुदाय और ईसाई समुदाय को जिससे वो धर्म परिवर्तन कर सके ।
ReplyDeleteइस विषय मे जो भी बहस करना चाहे कर सकता है।