Sunday, May 19, 2019

चिड़ियाँ हूँ मैं

चिड़ियाँ हूँ मैं

एक दिन उड़ जाऊंगी
खत्म कर दूँगी अपनी चहचहाट
बन जाऊंगी पत्तो की माफिक
खत्म होना जिनकी नियति हैं।

 कैद से दूर चली जाऊंगी
 जकड़न से मुक्ति पाऊँगी
मृत खामोशी छोड़ जाऊंगी
उन्मुक्त नभ में मिल जाऊंगी

हाँ,चिड़ियां हूँ मैं
एक दिन सबसे दूर चली जाऊंगी


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