मैंने इस बीच कई ऐसे कॉमेंट या पोस्ट देखी जिसमें लोगो को भगवा रंग या उसके झंडे से तमाम दिक्कते थी उन्हे लगता है भगवा किसी एक विशेष पार्टी का सिम्बल हैं या वो उसे स्पष्ट करता है।
मगर इसके इतर देखे तो भगवा का इतिहास देखे तो ये संभा जी माहराज, साहू जी माहराज से भी पहले का हैं भगवा ध्वज तात्पर्य है- उगते हुए सूर्य का, सहास का पराक्रम का, रंगो जीवन में विशेष महत्व होता है..भगवा रंग हमे ऊर्जा देता हैं इसको किसी धर्म विशेष से ना देखे .उसके इतर ये भगवा रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग भगवा ही था। चित्त क्षोम और रात्रि अंधता में इस रंग का प्रयोग करना चाहिए। केसरिया या भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है। भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह।
स्वामी विवेकानंद भी भगवा ही धारण करते थे, क्योंकि ये सन्यासी व्यक्तियों का भी प्रतीक है।
आजादी के पहले देश का राष्ट्रीय
ध्वज भगवा ही था, आजादी के बाद भी इसे ही राष्ट्रीय ध्वज मानने के लिये प्रस्ताव भी दिया गया था। देखा जाये तो इस्लाम में भी चटक रंगो का विशेष महत्व है तो भगवा को किसी पार्टी से जोड़कर इसके बारे में भ्रांतियां फैलाना गलत है। भगवा प्राचीन काल से चला आ रहा है जो शौर्य, पराक्रम, ऊर्जा, त्याग का प्रतीक रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को अपना गुरु माना है। सिख धर्म में भी इसका महत्व है। पवित्र निशान ‘निशान साहिब’ को भी केसरी रंग में ही लपेटा जाता है। इसके अलावा सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बनाए गए पंज प्यारे भी केसरी लिबास में ही रहते थे। भगवा और केसरी में मामूली अंतर ही हैं...केसरिया को अंग्रेजी में Saffron तो भगवा को Ochre कह सकते हैं। केसरिया में थोड़ा लालपन ज्यादा होता है जबकि भगवा में पीलापन।
मगर इसके इतर देखे तो भगवा का इतिहास देखे तो ये संभा जी माहराज, साहू जी माहराज से भी पहले का हैं भगवा ध्वज तात्पर्य है- उगते हुए सूर्य का, सहास का पराक्रम का, रंगो जीवन में विशेष महत्व होता है..भगवा रंग हमे ऊर्जा देता हैं इसको किसी धर्म विशेष से ना देखे .उसके इतर ये भगवा रंग त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। शिवाजी की सेना का ध्वज, राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों के ध्वज का रंग भगवा ही था। चित्त क्षोम और रात्रि अंधता में इस रंग का प्रयोग करना चाहिए। केसरिया या भगवा रंग शौर्य, बलिदान और वीरता का प्रतीक भी है। भगवा या केसरिया सूर्योदय और सूर्यास्त का रंग भी है, मतलब हिन्दू की चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है यह।
स्वामी विवेकानंद भी भगवा ही धारण करते थे, क्योंकि ये सन्यासी व्यक्तियों का भी प्रतीक है।
आजादी के पहले देश का राष्ट्रीय
ध्वज भगवा ही था, आजादी के बाद भी इसे ही राष्ट्रीय ध्वज मानने के लिये प्रस्ताव भी दिया गया था। देखा जाये तो इस्लाम में भी चटक रंगो का विशेष महत्व है तो भगवा को किसी पार्टी से जोड़कर इसके बारे में भ्रांतियां फैलाना गलत है। भगवा प्राचीन काल से चला आ रहा है जो शौर्य, पराक्रम, ऊर्जा, त्याग का प्रतीक रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को अपना गुरु माना है। सिख धर्म में भी इसका महत्व है। पवित्र निशान ‘निशान साहिब’ को भी केसरी रंग में ही लपेटा जाता है। इसके अलावा सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु गोबिंद सिंह द्वारा बनाए गए पंज प्यारे भी केसरी लिबास में ही रहते थे। भगवा और केसरी में मामूली अंतर ही हैं...केसरिया को अंग्रेजी में Saffron तो भगवा को Ochre कह सकते हैं। केसरिया में थोड़ा लालपन ज्यादा होता है जबकि भगवा में पीलापन।
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