Sunday, December 30, 2018

भूतेश्वर महादेव- छत्तीसगढ़

ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
    
      भगवान शंकर को यूहीं नही भोलेनाथ कहा जाता है।
बाबा बहुत भोले है जो जैसा चाहता है उसे देते है जैसे रावण को सोने की लंका दे दी थी।।
वैसे हम सबने शिव के कई मंदिरो के बारे में जाना और सुना है।
आस पास ही जाने कितने मंदिर है
देखा जाये तो कण कण में ही ईश्वर है। 

ऐसे ही छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले में  भूतेश्वर महादेव, ये मंदिर सब जगह से अलग है। यहाँ का सौदर्य आपको खुद शिव के होने का अहसास दिलाएगा। यहां की सबसे खास बात है यहाँ विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है, यह एक स्वयंभू शिवलिंग हैं. इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? इसके बारे में कोई नहीं जानता.
जो जमीन से शिवलिंग की ऊंचाई 75 फीट और चौड़ाई 220 फीट है. (कुछ जगह 80  फीट भी कहा गया है)शिवलिंग में  प्राकृतिक जल- लहरी है|जो जमीन से जुड़ी हुई हैं।
प्रति वर्ष राजस्व विभाग इसकी ऊचाई नापता है जो हर बार 5-6 इंच ज्यादा मिलती है।
ये बात खुद में मायने रखती है और इससे भी खास बात ये दिन ब दिन और भी बढ़ता जा रहा है और इसके कारण बहुत से विद्वान भी अभी तक नही खोज पाये है।।
कहते है शुरु में ये शिवलिंग मात्र कुछ ही ऊचाई का था।
जब देश में जमींदारी प्रथा थी ,तो शोभा सिंह नाम के एक जमीदार हुआ करते थे जब वो शाम को अपने खेतो में उन्हे देखने या घूमने जाते थे, तो उन्हे एक विशेष टीलेनुमा आकृति दिखी।।
उसमें से तरह तरह की आवाजे आ रही ने ये बात गाँव वालो को बताई
धीरे धीरे  ये बात दूर दूर तक फैल गई और शिवलिंग में चमत्कारी परिवर्तन से लोगो की श्रद्धा बढ़ती गई।।
धीरे धीरे इतना परिवर्तन का कारण कई वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाये हैं
इस शिवलिंग में सबसे खास बात इसमें एक जल लहर भी बन गई है जमीन से जुड़ी हुई।।
ये खुद में एक आश्चचर्य है।
शिवलिंग के ठीक सामने नंदी जी विराजमान है जो बेहद खूबसूरत लगते है।   शिवलिंग के ठीक पीछे शिव परिवार की प्रतिमा भी हैं जिसमे शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिक और नंदी भी हैं।
     
एक तो इतना रमणीय वातावरण और उसपें शिव का ये रूप भक्तो के लिये खास है।
वैसे तो यहाँ पूरे साल भक्त आते रहते है
मगर सावन को यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है
कावड़ियों की धूम होती है पूरे श्रद्धा भाव से भक्त आते है।।
इसका अन्य नाम -'भूतेश्वर भकुर्रा महादेव भी हैं। '
क्योंकि जिस जगह पर यह शिवलिंग है, वहां रोज रात को बैलों के बोलने की आवाज आती है। - बैलों के बोलने को वहां के आम लोग भुकराना भी कहते हैं, इसलिए इस जगह का नाम भकुर्रा महादेव भी है।

ताजा update- आज भी शिवलिंग का आकर लंबाई चौङाई ऊचाई में बढ़ रहा है।

कैसे पहुँचे-रायपुर से 90 किमी दूर और गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर ग्राम मरौदा में पहाड़ियों के बीच स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर है।।
नमो नमो शंकर

No comments:

Post a Comment