हमेशा की तरह फिर से मंदिर-मस्जिद विवाद आ गया है हमारे देश की आधी सत्ता ही मंदिर मस्जिदो पर चलती है,
मगर ना आज तक कोई समझौता हुआ ना मध्यस्था, हर बार फैसले की घड़ी आती है पूरे देश की निगाहे न्यूज़ चैनल्स पर हो जाती है आस्था, महिमा, हालतो पर हम फिर से जगते है
हिंदू बोलते है उन्हे अपने हक में फैसला चाहिए मुस्लिम अपने हक में चाहते है, मगर वास्तव में हमने समझा ही नही की इसका हल क्या निकलेगा क्या किसी भी वर्ग के जो लोग सिर्फ इसी सियासत पर टिके है वो मानेगे कोर्ट की बात इतनी आसानी से या जनता, नही ना।
और जिनकी वजह से वो सब हुआ था आज वो भी किसी मतलब लायक नही है, देखते है आप मंचो में उनकी हालत चाहे किसी भी धर्म के हो क्योंकि अब सभी जानते है सिर्फ मंदिर मस्जिद नाम पर बुद्धजीवी वर्ग अपने वोट नही देगा।
वैसे उस जगह पर फैसला राम मंदिर के पक्ष में होने चाहिये उसमे मुस्लिमो को पहल करनी चाहिये की वो मंदिर निर्माण होने दे,
इसलिए नही की हिंदू मंदिर चाहते है या मुस्लिमो की भावनाओ को आहत करना चाहते है बल्कि इसलिए क्योंकि राम मंदिर एक ऐसी जन्मभूमि है या ऐसी जगह है जहॉ राम ने जन्म लिया, जैसे किसी बच्चे ने कहीं जन्म लिया तो वही उसकी जन्मभूमि या जन्म का स्थान कहलायेगा हम किसी और जगह हो उसका घर नही बोल देंगे
और बाकी कोई भी मंदिर हो मस्जिद हो चर्च हो वो तो उस जगह हो को छोडकर कही और भी बनाया जा सकता है।।
हम मंदिर मस्जिद कोई भी धार्मिक स्थान जगह छोड़कर बना सकते है मगर किसी के जन्म स्थान को नही बदल सकते।
अगर वो मुस्लिमो के किसी पीर पैगंबर की भूमि होती तो फैसला उनके हक में जाना चाहिए था मगर ऐसा नही है।
मगर ये तो राम जन्मभूमि है ना
तो राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला होना चाहिए साथ ही मस्जिद के लिये भी अलग से ज़मीं और फंड पास होना चाहिये और एक ठोस कानून बनाना चाहिए कि भविष्य में कोई भी मंदिर या मस्जिद गिरायेगा या धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश करेगा तो उसे नही बक्शा जाएगा चाहे कोई नेता हो या कुछ भी हो और उसका निर्माण कार्य की प्रक्रिया भी तुरंत होगी। ताकि मुस्लिम वर्ग विशेष की भावनाएं ना आहत हो और उन्हे भी फैसले से खुशी हो
ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे देश में बहुत से ऐसे मुद्दे है जो मंदिर और मस्जिद से भी बढ़कर है आखिर कब तक सिर्फ यही धार्मिक भावनाएं आहत करता रहेगा
बाकी आपको लड़ना हो तो आप लड़े कि हम मस्जिद उसी जगह बनाएगा या हिंदू कहे कि हम मस्जिद को जमीन नही देंगे वो गलत है देश सभी का लोग सभी समान है तो अब एक दुसरे की भावनाओ को ना आहत करते हुये ऐसे फैसले होने चाहिए वरना क्या लड़ते रहिये उसमें सिर्फ आपका घर जलेगा आपका देश समाज गंदा होगा मजे करने वाले उसमे भी अपना फायदा ढुंढ़ लेंगे
दोनो पक्षो को फिर से अपनी अपनी तरफ से पहल करके भाई चारे की भावना फिर से दिखानी चाहिए, बड़प्पन भी
मगर ना आज तक कोई समझौता हुआ ना मध्यस्था, हर बार फैसले की घड़ी आती है पूरे देश की निगाहे न्यूज़ चैनल्स पर हो जाती है आस्था, महिमा, हालतो पर हम फिर से जगते है
हिंदू बोलते है उन्हे अपने हक में फैसला चाहिए मुस्लिम अपने हक में चाहते है, मगर वास्तव में हमने समझा ही नही की इसका हल क्या निकलेगा क्या किसी भी वर्ग के जो लोग सिर्फ इसी सियासत पर टिके है वो मानेगे कोर्ट की बात इतनी आसानी से या जनता, नही ना।
और जिनकी वजह से वो सब हुआ था आज वो भी किसी मतलब लायक नही है, देखते है आप मंचो में उनकी हालत चाहे किसी भी धर्म के हो क्योंकि अब सभी जानते है सिर्फ मंदिर मस्जिद नाम पर बुद्धजीवी वर्ग अपने वोट नही देगा।
वैसे उस जगह पर फैसला राम मंदिर के पक्ष में होने चाहिये उसमे मुस्लिमो को पहल करनी चाहिये की वो मंदिर निर्माण होने दे,
इसलिए नही की हिंदू मंदिर चाहते है या मुस्लिमो की भावनाओ को आहत करना चाहते है बल्कि इसलिए क्योंकि राम मंदिर एक ऐसी जन्मभूमि है या ऐसी जगह है जहॉ राम ने जन्म लिया, जैसे किसी बच्चे ने कहीं जन्म लिया तो वही उसकी जन्मभूमि या जन्म का स्थान कहलायेगा हम किसी और जगह हो उसका घर नही बोल देंगे
और बाकी कोई भी मंदिर हो मस्जिद हो चर्च हो वो तो उस जगह हो को छोडकर कही और भी बनाया जा सकता है।।
हम मंदिर मस्जिद कोई भी धार्मिक स्थान जगह छोड़कर बना सकते है मगर किसी के जन्म स्थान को नही बदल सकते।
अगर वो मुस्लिमो के किसी पीर पैगंबर की भूमि होती तो फैसला उनके हक में जाना चाहिए था मगर ऐसा नही है।
मगर ये तो राम जन्मभूमि है ना
तो राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला होना चाहिए साथ ही मस्जिद के लिये भी अलग से ज़मीं और फंड पास होना चाहिये और एक ठोस कानून बनाना चाहिए कि भविष्य में कोई भी मंदिर या मस्जिद गिरायेगा या धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश करेगा तो उसे नही बक्शा जाएगा चाहे कोई नेता हो या कुछ भी हो और उसका निर्माण कार्य की प्रक्रिया भी तुरंत होगी। ताकि मुस्लिम वर्ग विशेष की भावनाएं ना आहत हो और उन्हे भी फैसले से खुशी हो
ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे देश में बहुत से ऐसे मुद्दे है जो मंदिर और मस्जिद से भी बढ़कर है आखिर कब तक सिर्फ यही धार्मिक भावनाएं आहत करता रहेगा
बाकी आपको लड़ना हो तो आप लड़े कि हम मस्जिद उसी जगह बनाएगा या हिंदू कहे कि हम मस्जिद को जमीन नही देंगे वो गलत है देश सभी का लोग सभी समान है तो अब एक दुसरे की भावनाओ को ना आहत करते हुये ऐसे फैसले होने चाहिए वरना क्या लड़ते रहिये उसमें सिर्फ आपका घर जलेगा आपका देश समाज गंदा होगा मजे करने वाले उसमे भी अपना फायदा ढुंढ़ लेंगे
दोनो पक्षो को फिर से अपनी अपनी तरफ से पहल करके भाई चारे की भावना फिर से दिखानी चाहिए, बड़प्पन भी
Sahi kha apne 👍👍👍
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