Thursday, January 31, 2019

कल्पना हमेशा रहेंगी

मैं अंतरिक्ष के लिये बनी हूँ वही मरूँगी, 41 साल की कल्पना चावला के ये शब्द आज भी अंतरिक्ष,  तारों का सपना देखने वाले बच्चे, युवक महिला किसी के लिये जोश भरने के लिये पर्याप्त है।
आज ही का दिन था जब वो अपने जाने के साथ एक इतिहास बना गई,  धरती से मात्र 16 मिनट की दूरी पर थी वह ,आसमान में तेज बिजली गड़गडाई विमान में तेजी से विस्फोट  हुआ और आसमान के तारे आसमान में ही समा गये।
16 दिन अंतरिक्ष में बिताकर धरती पर लौट रहीं थी लेकिन धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर जब यान था तो यान में धमका हुआ और 7 यात्री मौत के ग्रास बन गये।
उस यान में 2 महिलाये थी
एक कल्पना चावला और दूसरी लॉरेल क्लार्क,
मगर कल्पना का जुड़ाव भारत से भी था तो उन्होंने भारत का नाम रोशन कर दिया था तारो की दुनिया में
आइए प्रकाश डालते हैं कुछ इनके जीवन पर - 
पिता का नाम- बनारसी लाल चावला
 माता का नाम- संजयोति
4 भाई बहनो में सबसे छोटी थी वो
माता पिता उन्हे इंजीनियर या टीचर बनाना चाहते थे घर वालों ने प्यार से मोंटू कहते थे ।

एक बार उन्होंने अपने पिता से कहा कि पापा मैं भी उड़ना चाहती हूं इन तारों के पास जाना चाहती हूँ, तो उनके पापा ने हस दिया था।
मगर समय बीतता गया और माँ ने उनकी इच्छा का सम्मान किया।
कल्पना ने अपनी शिक्षा  टैगोर पब्लिक स्कूल से पूरी करने के बाद आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की।
कल्पना की रुचि बचपन से ही तारों सितारों की दुनिया जानने में थी।
उन्होंने खुद कहा था, युवाओ को जिस क्षेत्र में मन लगे ,जिस काम को पूरे लगन निष्ठा के साथ करना चाहते हैं उसे ही अपनाना चाहिए अगर आप अपने काम से प्यार नहीं करते हैं तो आप वह काम नहीं कर पाएंगे।
कल्पना  को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।
कल्पना अपने काम से बेहद प्यार करती थी उनका मानना था वह अंतरिक्ष के लिए बनी है और उसी में मर जाएंगी।
उनके नाम पर अनेकों कॉलेज, यूनिवर्सिटी, विज्ञान समारोह होते है। अनेकों पुरस्कारो से सम्मानित किया गया।। भले ही कोई उनके बारे में ज्यादा ना जानता हो मगर जब भी  अंतरिक्ष की बात होती है सशक्त महिलाओं की बात होती है वह महिला जिसने पूरा आसमान नाप लिया उसकी बात होती है तो हर बार कल्पना याद की जाती हैं। कल्पना जितनी जाने कितनी लड़कियां जो हर क्षेत्र में अपना मुकाम स्थापित कर रही हैं ,वो याद की जाएंगी
हमेशा हमेशा हमेशा


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