Monday, January 14, 2019

खिचड़ी-आखिर क्यों??

पूरे देश में लोहड़ी का शोर हैं
  लोहड़ी मुख्यता पंजाब, हरियाणा में मनाया जाने वाला त्यौहार हैं। मगर जैसा कहते है ना भारत अनेकता में एकता वाला देश हैं तो लोहड़ी भी पूरे देश में धूम धडाके से मनाई जाती हैं। जो लोग मना नही पाते वो दुसरो की खुशियों में शामिल होकर खुशियाँ लूट लेते हैं।

इसके एक दिन बाद मकर सक्रांति या शुद्ध कहे तो  खिचड़ी का त्यौहार मनाया जाता हैं। सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करते हैं और शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं। प्रकृति परिवर्तन होता है बसंत का आगमन  होने वाला  है  फूल खिलने वाले हैं।
वही  जिसे आम तौर पर हम सब देख के नाक मुह सिकोड़ते हैं उसी  खिचड़ी के नाम पर इतना बड़ा त्यौहार
आइये जानते हैं आखिर क्या है वजह?
वैसे खिचड़ी को लेके कई मिथक हैं, कोई इसे बीरबल से जोड़ता हैं कोई इसे खिलजीयो द्वारा किये गये नाथ संप्रदाय पर किए गए आक्रमण से जिसमें जब उनके पास बनाने के लिए कुछ नहीं था तो दाल चावल और सभी सब्जियों को एक साथ मिलाकर उन्होंने अपने सैनिकों के लिए यह व्यंजन तैयार किया था इसके परे अगर हम प्रकृति की बात करें तो खिचड़ी हमें संकेत देता है कि कुछ ही दिनों में बसंत आने वाला है और सर्दी और बसंत के बीच में जो मौसम होता है उसमें हमें अपना ख्याल रखना चाहिए और गर्म तासीर की चीजें खानी चाहिए तो खिचड़ी एक ऐसा व्यंजन है जो शरीर को गर्माहट देता है और यह हल्का और सुपाच्य होता है जैसे बसंत में खिलने वाले फूल कोमल होते हैं वैसे ही खिचड़ी एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो बेहद कोमल होती है लेकिन उसकी खुशबू उसकी रंगत हमारे शरीर तक पहुंचती है यह शरीर को पोषण तो प्रदान करती है साथ में एक नई ऊर्जा का भी संचार करती है। खिचड़ी के साथ दही बड़े खाने का भी प्रचलन है और वैसे भी बड़े बुजुर्ग कहते हैं खिचड़ी के चार यार- दही ,पापड़, घी ,अचार
साल 2017 में खिचड़ी को सुपर फूड का दर्जा भी दिया गया था।। भारत देश के प्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी भी खिचड़ी को अपने प्रिय व्यंजनों में से एक बताते हैं और वे अधिकतर रात के खाने में खिचड़ी लेना ही पसंद करते हैं। पोंगल में भी  dish खिचड़ी की बनती है लेकिन मीठी खिचड़ी जिसमें दाल चावल गुड़ का प्रयोग करके बनाया जाता है।
खिचड़ी का इतिहास-
मुगल काल में कई ऐसे शासक हुए जिनको खिचड़ी बेहद पसंद थी। कई मुगलों का पसंदीदा शाकाहारी भोजन खिचड़ी था। इतिहास पढ़े तो हमें पता चलता है की अकबर को खिचड़ी बेहद पसंद थी,उसकी खिचड़ी में  एक भाग दाल एक भाग चावल और एक भाग घी का होता था।। जब पूरी खिचड़ी घी में पक जाती थी वही अकबर को पसंद होती थी।
आईने अकबर में 7 तरह की खिचड़ी का जिक्र मिलता है। बीरबल की खिचड़ी लोगों को आज भी याद है
कई मुगल बेगमें अपने खानपान को नियमित करते हुए खिचड़ी खाना पसंद करती थी।।
वैसे शाकाहारी खिचड़ी  ही मुख्य होती थी है लेकिन कई जगह मांसाहारी खिचड़ी भी प्रसिद्ध है। जहांगीर को भी खिचड़ी बेहद पसंद थी उनकी खिचड़ी में काजू बदाम, पिस्ता,केसर और अन्य मेवो  का एक निश्चित अनुपात होता था।।
महाराष्ट्र, मुंबई में साबूदाना की खिचड़ी भी बेहद प्रसिद्ध है ,साईं मंदिर के प्रसाद में भी खिचड़ी मुख्यता देखने को मिल जाती है।
पश्चिम बंगाल और कोलकाता में मां दुर्गा के भोग में भी खिचड़ी लगाई जाती है।
उत्तर प्रदेश में खिचड़ी का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है यहां पर  मूंग दाल की खिचड़ी बनाई जाती है,इस दिन दान और पुण्य करने का भी बहुत महत्व है शादीशुदा बहनों को और कुंवारी लड़कियों को भी घर बुलाकर ससम्मान खिचड़ी खिला कर और दान दक्षिणा देकर विदा किया जाता है।
खैर यह सब तो खिचड़ी के बारे में था,जो खिचड़ी खाने के मजे को अब और भी दोगुना कर देगा और हम अपने इतिहास को जान पायेंगे।
और हम अगली बार खिचड़ी को देखकर  बेमन नहीं खाएंगे। आप भी इस मकर संक्रांति में बेहद प्यार से खिचड़ी खाइए,  दही बड़ा और पापड़ को भी मत भूलिएगा।। मन करे तो मटर, गाजर, अदरक का प्रयोग करके उसे और पौष्टिक बना लीजिएगा
आपकी और मेरी मकर संक्रांति बेहद शुभ हो आने वाले दिन और पूरा साल यूं ही चमकते रहे और खुशियों से भरा रहे।।
शुभ मकर संक्रांति

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