नॉक नॉक - कोई दरवाजे पर था शायद लखन बाबू ने दरवाजा खोला वेटर था नाश्ता लेकर आया था।
सर आज हमारे होटल की तरफ से सभी कपल्स के लिये प्रोग्राम रखा गया हैं, ये लीजिये कार्ड
तो आप और मैम जरूर 2 बजे तक हाल नंबर 1 में आ जाइयेगा
जी, ठीक है - लखन बाबू बोले
वर्षा जी नाश्ता रखा है फ्रेश हो जाइये आप
- वर्षा ने बस हाँ में गर्दन हिला दी थी
सर आज हमारे होटल की तरफ से सभी कपल्स के लिये प्रोग्राम रखा गया हैं, ये लीजिये कार्ड
तो आप और मैम जरूर 2 बजे तक हाल नंबर 1 में आ जाइयेगा
जी, ठीक है - लखन बाबू बोले
वर्षा जी नाश्ता रखा है फ्रेश हो जाइये आप
- वर्षा ने बस हाँ में गर्दन हिला दी थी
आप 2 बजे होटल के प्रोग्राम में जाना पसंद करेंगी या नही?
मुझे नही जाना कहीं वर्षा बोली।
तभी दरवाजे पर आवाज हुई कोई था, दरवाजा खोला - अंशू और लतिका थे
मुझे नही जाना कहीं वर्षा बोली।
तभी दरवाजे पर आवाज हुई कोई था, दरवाजा खोला - अंशू और लतिका थे
अरे आईये साथ में नाश्ता करते थे - लखन बाबू ने कहा
I m sorry लेकिन मैं इतना oily और कैलोरी वाला नाश्ता नही करता - अंशू बोला
अच्छा लतिका जी आप खा लीजिए - लखन बाबू ने पूछा
लतिका ने आलू का पराठा मक्खन लगाकर खाया ही था कि अंशू बोल पड़ा
I m sorry लेकिन मैं इतना oily और कैलोरी वाला नाश्ता नही करता - अंशू बोला
अच्छा लतिका जी आप खा लीजिए - लखन बाबू ने पूछा
लतिका ने आलू का पराठा मक्खन लगाकर खाया ही था कि अंशू बोल पड़ा
हाँ क्यू नही ये तो खा ही लेगी इसे ना oil से मतलब है ना किसी बात से और सपने है मैडम के ब्रांडेड ड्रेसेस पहनने के और दुनिया घूमने गए जबकि खुद को नहीं देखती है किस लायक है?
अंशू ने एक तमाचा मारा था ऐसी बातों से सब उस कमरे में संन्न थे एकदम
अंशू ने एक तमाचा मारा था ऐसी बातों से सब उस कमरे में संन्न थे एकदम
लतिका को बहुत बुरा लगा था मगर पर्दे के पीछे
का सच यही था अंशु को अपनी इमेज के आगे लतिका का व्यक्तितव कमतर लगता था।
लतिका की आँखो में एक पानी की धार बह गई
का सच यही था अंशु को अपनी इमेज के आगे लतिका का व्यक्तितव कमतर लगता था।
लतिका की आँखो में एक पानी की धार बह गई
अच्छा ये सब हटाओ ये बताइये आप लोग चल रहे ना आज 2 बजे अरे भाई पूरा एन्जॉय करो क्या यहां बैठे रहते हो - अंशु बोला
अगर वर्षा जी की मर्जी होगी तो हम जरूर आएंगे
क्या पत्नी की मर्जी इनकी भी कोई मर्जी होती है क्या हम लोगो का मन होगा तो जायेंगे नही तो नही - अंशु बोला
वर्षा अंशु को अचरज भरी निगाहो से देखने लगी जैसे उसे अंशु से बेख्याली जाने कितनी उम्मीदे हो गई हो
क्या पत्नी की मर्जी इनकी भी कोई मर्जी होती है क्या हम लोगो का मन होगा तो जायेंगे नही तो नही - अंशु बोला
वर्षा अंशु को अचरज भरी निगाहो से देखने लगी जैसे उसे अंशु से बेख्याली जाने कितनी उम्मीदे हो गई हो
अच्छा चलते है शाम को मिलेंगे -अंशु बोल कर चला गया
मैं भी चलती हूँ - भारी मन से लतिका बोली
मैं भी चलती हूँ - भारी मन से लतिका बोली
2 भी बज गया वर्षा तैयार हुई गोल्डन कलर की घुटने के नीचे तक की ड्रेस जिसमे हल्की डिजाइन बनी थी और उसके साथ काले कलर की पेंसिल हील की सैंडल्स और बालो में एक उचाई से घुंघराले बालों वाली चोटी और चेहरे पर हल्का सा मेकअप और नेचुरल कलर लिपस्टिक,
लखन बाबू का वही पुराना अंदाज एक चेक Shirt उसमें उसी कलर का पेंट और छोटे बक्कल वाली काले बेल्ट और आंखों पर मोटे लेंस का चश्मा और लेकिन बालों की स्टाइल सिंपल मगर सलीके दार थी
नीचे हाल में पहुँचे सब पहले से मौजूद थे
हैलो लेडीज एंड जेंटलमैन आप सब जब इतनी दूर आ रही हैं तो आप सभी के लिए कंपटीशन है जिस से यह यादगार माहौल और भी यादगार हो जाए तो आप सब रेडी है ना
लखन बाबू का वही पुराना अंदाज एक चेक Shirt उसमें उसी कलर का पेंट और छोटे बक्कल वाली काले बेल्ट और आंखों पर मोटे लेंस का चश्मा और लेकिन बालों की स्टाइल सिंपल मगर सलीके दार थी
नीचे हाल में पहुँचे सब पहले से मौजूद थे
हैलो लेडीज एंड जेंटलमैन आप सब जब इतनी दूर आ रही हैं तो आप सभी के लिए कंपटीशन है जिस से यह यादगार माहौल और भी यादगार हो जाए तो आप सब रेडी है ना
एक कंपटीशन था कपल के बीच में जिसमें एक हेंकी से थोड़े से बड़े कपड़े में कपल डांस था
देखना मैं ही जीतूगा - अंशु ने कहा था तेज आवाज में
सब तैयार थे इधर वर्षा ने भी मुह बनाते हुए लखन के साथ तैयार हो गई
देखना मैं ही जीतूगा - अंशु ने कहा था तेज आवाज में
सब तैयार थे इधर वर्षा ने भी मुह बनाते हुए लखन के साथ तैयार हो गई
बैक ग्राउंड music प्ले हो रहा था और सभी जीतने की हर कोशिश में कैसे भी एक दूसरे के साथ एड्जस्ट कर रहे थे
वेट वेट वेट क्या कर रहे हो आप सब सिर्फ जितना मकसद नही है - ओर्गनाईजर बोले
आप को एक दूसरे को समझना है आपस की बोन्डिंग मजबूत करनी है इसलिए गेम है ना कि आप सब मुकबला करे सिर्फ जीतने को
आप को एक दूसरे को समझना है आपस की बोन्डिंग मजबूत करनी है इसलिए गेम है ना कि आप सब मुकबला करे सिर्फ जीतने को
ऐसे ही करके दुसरा प्ले राउंड हुआ - हैंकि को मोड दिया गया अब सब एक दूसरे के हाथो को थामे और भी करीब आ गये थे
हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा!!
हम तेरे बिन अब रह नही सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा!!
माहौल एक दूसरे के करीब आने वाला था, वर्षा आँखे बंद करके पता नही किस दुनिया में खोई थी और लखन बाबू को तो मानो आज मानो सावन की पहली बरसात देखने को मिली हो ऐसा हाल था बस वर्षा के सम्मोहन से बच नही पा रहे थे वो सोच रहे थे वर्षा उनके ही ख्यालो में खोई थी लखन बाबू और करीब आ गये और वर्षा की गालों में हथेलियां स्पर्श करने लगे हल्की सी छुवन हुई ही थी वर्षा जैसे आवेश में आ गई - क्या था ये हाँ क्या जरा सा डांस क्या कर लिया तुम्हारे साथ 2,4 सवालो के जवाब दे दिया तो दिखा दिया अपना असली रंग
शादी भी तो इसीलिए की थी ना, खुद को नही देखा था ना क्लास है ना फैशन सेंस मैंने कभी नही सोचा था कि ऐसे आदमी से शादी होगी पता नही माँ और बाबूजी को क्या हुआ था जो मेरी एक ना सुनी और बांध दिया एक ऐसे आदमी के पल्ले - एक साँस में कितना कुछ बोल दिया आज उसने जो उसके मन में था उसे लगा जैसे कोई बोझ उतार कर फेक रही और सकूँन लग रहा था इतना जलील भरे शब्दो से लखन बाबू के प्यार को तार तार करना
शादी भी तो इसीलिए की थी ना, खुद को नही देखा था ना क्लास है ना फैशन सेंस मैंने कभी नही सोचा था कि ऐसे आदमी से शादी होगी पता नही माँ और बाबूजी को क्या हुआ था जो मेरी एक ना सुनी और बांध दिया एक ऐसे आदमी के पल्ले - एक साँस में कितना कुछ बोल दिया आज उसने जो उसके मन में था उसे लगा जैसे कोई बोझ उतार कर फेक रही और सकूँन लग रहा था इतना जलील भरे शब्दो से लखन बाबू के प्यार को तार तार करना
इतना कह कर वो किनारे चली गई खड़ी हो गई
लखन बाबू बुत बने खड़े रहे कितना दुख था हाये ये बेहया जमाना जो एक अच्छे इंसान के साथ ये शायद बहुत बड़ी गलती की मैंने वर्षा से शादी करके आखिर उसके भी सपने होंगे मै ही जिम्मेदार हूँ शायद आज इंनसब का
कितने अपराधबोध में थे आज लखन बाबू
" प्रेम में डूबा मर्द बिल्कुल बुद्ध की साधना जितना शांत और पवित्र लगता है"
" प्रेम में डूबा मर्द बिल्कुल बुद्ध की साधना जितना शांत और पवित्र लगता है"
चटटाटाटक एक तेज आवाज गूंजी सबका ध्यान भंग हुए
तुझसे ये गेम भी नही खेला गया कुछ नही आता और सपने है तेरे मेरे साथ दुनिया घूमने के कनाडा जाने के पहले खुद को देख तेरी जैसे औरते घर में अच्छी लगती है - अंशु ने लतिका को झिडकते हुए कहा
दरसल लतिका की सैंडल स्लिप कर गई थी इस चक्कर में अंशू भी गिर पड़ा था और वो भी अंशु को ये बहुत अपमान लगा था कि अंशु नागपाल सबके सामने हार गया और गिर गया उसकी पितृसत्तात्मक सोच आखिर एक औरत पर इतनी भारी पड़ी कि भरी महफ़िल में हाथ उठा के कितना कुछ गंदा बोल दिया जैसे किसी ने आग लगा दी हो लतिका रोते हुए बाहर निकल गई
तुझसे ये गेम भी नही खेला गया कुछ नही आता और सपने है तेरे मेरे साथ दुनिया घूमने के कनाडा जाने के पहले खुद को देख तेरी जैसे औरते घर में अच्छी लगती है - अंशु ने लतिका को झिडकते हुए कहा
दरसल लतिका की सैंडल स्लिप कर गई थी इस चक्कर में अंशू भी गिर पड़ा था और वो भी अंशु को ये बहुत अपमान लगा था कि अंशु नागपाल सबके सामने हार गया और गिर गया उसकी पितृसत्तात्मक सोच आखिर एक औरत पर इतनी भारी पड़ी कि भरी महफ़िल में हाथ उठा के कितना कुछ गंदा बोल दिया जैसे किसी ने आग लगा दी हो लतिका रोते हुए बाहर निकल गई
औरत पर हाथ उठाते शर्म नही आती और गलती है हो जाती है किसी से भी लतिका ने ये जान बूझकर तो किया नही होगा - लखन बाबू अंशु से बोले
मेरे मैटर में मत आओ समझे खुद को देखो तुम कैसे हो जैसे हो वैसी बातें - अंशु बोला था
अंशु मार पीट में उतर आया था
इधर वर्षा लतिका को शांत कराने गई थी
मत रो लतिका हो सकता हो अंशु को गुस्सा आ गया हो
लतिका - ये गुस्सा नही होता कि खुद के साथी की भरे समाज में बेज्जती करो और ये आज का नही है अंशु का रोज का शादी के 5 दिन बाद से ही सुनो वर्षा तुम बहुत लकी हो जो लखन जी मिले तुम्हे एक ऐसा आदमी जिसे तुम्हारे सुख दुख से मतलब है क्या खाना है बिलकुल उल्टा है और एक लड़की को चाहिए ही क्या जीवन में कितना कुछ करते है यार वो तुम्हारे लिये मैंने पहले ही दिन से नोटिस किया है।
इधर वर्षा लतिका को शांत कराने गई थी
मत रो लतिका हो सकता हो अंशु को गुस्सा आ गया हो
लतिका - ये गुस्सा नही होता कि खुद के साथी की भरे समाज में बेज्जती करो और ये आज का नही है अंशु का रोज का शादी के 5 दिन बाद से ही सुनो वर्षा तुम बहुत लकी हो जो लखन जी मिले तुम्हे एक ऐसा आदमी जिसे तुम्हारे सुख दुख से मतलब है क्या खाना है बिलकुल उल्टा है और एक लड़की को चाहिए ही क्या जीवन में कितना कुछ करते है यार वो तुम्हारे लिये मैंने पहले ही दिन से नोटिस किया है।
वर्षा शांत ही आँखो में भले नमी ना थी मगर अब वो लग रहा था अपराधो की देवता हो जिसने ऐसे आदमी के साथ ये सब किया हो
चुपचाप वहां से खड़ी हुई वर्षा और आँसुओ को पोछते हुए तेज कदमो से कमरे में पहुँच गई कितना रोई वो अपराधबोध में
'शायद लड़कियो को बुरे लड़के जल्दी पसंद आते है'
उठी वो मुह धुला लखन बाबू कमरे में आकर शांत होकर- वर्षा मुझे तुमसे कुछ बात करनी है गंभीर स्वर में बोले
मै भी आज कुछ कहना चाहती हूँ आज मुझे पहले कुछ कहना है
पास आई थी लखन बाबू का हाथ थामा - मुझे माफ कर दो, मैंने बहुत गलत समझा आपको रिश्तो को निभाने के लिये उन्हे समझना जरूरी होता है, समय देना चाहती हूँ मैं अपने रिश्ते को एक नई शुरुआत करना चाहती हु। सिर्फ बाहरी रंग रूप से किसी की परख ठीक नही है शायद मैं और आप बहुत अलग है मगर जरुरी नही अलग लोग साथ नही रहते रोती रोती वर्षा लखन बाबू के सीने से लग गई थी।।
अब लखन बाबू को कछु कहना शेष नही था सब कुछ तो आज वर्षा ने कह दिया था।।
अब लखन बाबू को कछु कहना शेष नही था सब कुछ तो आज वर्षा ने कह दिया था।।
बताइयेगा जरूर कैसा लगा आपको लखन बाबू और वर्षा का सफर
Nice end
ReplyDeleteAwesome story 👍
Good Story
ReplyDeleteMoral of this story is that never judge any person by his looks..
ReplyDeleteAnd story was awesome.