छठ का पर्व जोर-शोर से शुरू हो चुका है आस्था विश्वास और श्रद्धा का संगम इस पर्व में देखने को मिलता है।कार्तिक महीने में दीपावली के 6 दिन बाद ये पर्व मनाया जाता है उत्तर भारत में मुख्य रूप से बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सो यह पर्व मनाया जाता है।भले ही मनाया कुछ हिस्सों में जाता है लेकिन इसकी आस्था और श्रद्धा सभी लोगोजुड़ी हुई है ।वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि सूर्य की उपासना करने से जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है मन उर शरीर स्वस्थ रहता है हिंदुओं के साथ इस्लाम धर्म के अनुयाई भी श्रद्धा रखते हैं।
छठी मैया की कथा-
कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं.
लेकिन रानी की मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं.
षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा.
अलग अलग मान्यताओं के साथ अंत में श्रद्धा है
सबके जीवन में यूँही ख़ुशहाली बनी रहे।🤗😊
छठी मैया की कथा-
कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं.
लेकिन रानी की मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्म हत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं.
षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा.
अलग अलग मान्यताओं के साथ अंत में श्रद्धा है
सबके जीवन में यूँही ख़ुशहाली बनी रहे।🤗😊
Thnks for the story that i don't know
ReplyDeleteWelcome dear
DeleteJai ho apka chhath puja ki shubhkamnaye
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