सहाब दीये ले लो सुबह से कोई नही आया आज
मैडम बाबू लोग आते भी है तो इतना मोल भाव करते है की उनसे हमारी मेहनत भी नही निकल पाती
ऐसा सड़क किनारे बैठे एक अधेड़ उम्र की औरत ने विनय से कहा ही था इस उम्मीद में की विनय उनके कुछ दिये खरीद लेंगे और उनकी भी दीवली जगमग हो जाएगी।।
विनय जो की एक सम्भ्रांत व्यक्ति थे उनके मन में अमीर गरीब सबके लिए करुणा भाव था।
उनसे उसकी दशा देखी नही गई की कैसे आज सब पूरा देश रोशनी से जगमगायेगा हर एक बंगले में लाखो के पटाख़े फूटेंगे,,कुछ लोग इतने महंगे कपड़े खरीदेंगे जिससे जाने कितने घरों का 2 दिन का राशन आ जाये ऐसी ही जाने कितनी बातो में डूबे थे विनय की फिर अचानक आवाज आई-अरे सहाब ले लो ना ये कुछ दिये शाम का वक़्त है बच्चे इंतज़ार में है
विनय अचानक अपनी उन हज़ारो बातो से बाहर आये
और कहा दे दो सब दिये
महिला-क्या सहाब सब दीये
विनय-हां सब दे दीजिये
महिला-बहुत ही खुशी मन से जहाँ उसका सुबह से एक भी दिया इन chinese झालरों की वजह से किसी ने नही खरीदा था वहाँ विनय ने एक पल में ही सब दिये ले लीये।।
महिला-सहाब 800 रुपये हुऐ
विनय-1000 का नोट आगे करते हुए
महिला-सहाब छुट्टा तो है नही आप कुछ कम पैसे दे दो
विनय-नही आप पूरे पैसे रख लो और जाओ घर अपने घर को रोशन करो जाके
ऐसा कहते हुए विनय संतुष्टि की भावना से आगे बढ़ गए
मगर उनके मन में यही था की जाने कितने घर ऐसे ही आज होंगे इसी इंतज़ार में जहां बच्चे साल भर दीवली का इंतज़ार करते है और उसी इंतज़ार में रुके रह जाते हैं।।
विनय इतने दीये का करते भी तो क्या??
अचानक उनके मन में कुछ आया और उन सब सभी दुकानों से जहाँ छोटे बच्चे या ऐसे लोग लगाए थे जिनका कोई सामान नही ले रहा था ऐसा करके उन्होंने लगभग 4-5 हज़ार का समान ले लिया था।।
अब इतने समान का वो क्या करने पूरा घर तो वैसे भी उनका भरा पड़ा था
बस इसी सोच के साथ वो पास वाली बस्ती में गए जहाँ उजाले के नाम पर कुछ घरों में बस दीये जल रहे थे
उन्होंने गाड़ी रोकी
और सब समान निकाला
बच्चे अधेड़ सब आस पास उनके जमा हो गए
सब खुश थे समझ रहे थे की आज उनकी भी दीवाली जगमगा जाएगी
उन्होंने सभी को दिये खील, लैया ,मिठाई बच्चो के लिए रंगीन पटाखे बाट दिए।।
विनय आज बहुत खुश थे।सच्चे मायने में इतने साल बाद उन्होंने दीवाली मनाई थी।।इस कदम से एक साथ उन्होंने जाने कितने लोगों की मदद कर दी थी
हां यही तो असली दीवाली
अपना घर तो सब रोशन करते है दूसरो का भी करना यही तो है राम राज्य यही तो है त्योहार,खुद का घर तो सब रोशन करेंगे ,,क्या फायदा आपका उन हज़ार पटाखो का जिससे सिर्फ धूल मिट्टी उडेगी, जाने कितनी बेजुबां जानवर आहात होंगे।।बस शौक कीजिये अति मत कीजिये किसी और को खुशिया बांटिए और सब की दीवाली मनाए
तभी तो होगी एक असली दीवाली खुशी वाली दीवाली
शुभ दीपावली।।
मैडम बाबू लोग आते भी है तो इतना मोल भाव करते है की उनसे हमारी मेहनत भी नही निकल पाती
ऐसा सड़क किनारे बैठे एक अधेड़ उम्र की औरत ने विनय से कहा ही था इस उम्मीद में की विनय उनके कुछ दिये खरीद लेंगे और उनकी भी दीवली जगमग हो जाएगी।।
विनय जो की एक सम्भ्रांत व्यक्ति थे उनके मन में अमीर गरीब सबके लिए करुणा भाव था।
उनसे उसकी दशा देखी नही गई की कैसे आज सब पूरा देश रोशनी से जगमगायेगा हर एक बंगले में लाखो के पटाख़े फूटेंगे,,कुछ लोग इतने महंगे कपड़े खरीदेंगे जिससे जाने कितने घरों का 2 दिन का राशन आ जाये ऐसी ही जाने कितनी बातो में डूबे थे विनय की फिर अचानक आवाज आई-अरे सहाब ले लो ना ये कुछ दिये शाम का वक़्त है बच्चे इंतज़ार में है
विनय अचानक अपनी उन हज़ारो बातो से बाहर आये
और कहा दे दो सब दिये
महिला-क्या सहाब सब दीये
विनय-हां सब दे दीजिये
महिला-बहुत ही खुशी मन से जहाँ उसका सुबह से एक भी दिया इन chinese झालरों की वजह से किसी ने नही खरीदा था वहाँ विनय ने एक पल में ही सब दिये ले लीये।।
महिला-सहाब 800 रुपये हुऐ
विनय-1000 का नोट आगे करते हुए
महिला-सहाब छुट्टा तो है नही आप कुछ कम पैसे दे दो
विनय-नही आप पूरे पैसे रख लो और जाओ घर अपने घर को रोशन करो जाके
ऐसा कहते हुए विनय संतुष्टि की भावना से आगे बढ़ गए
मगर उनके मन में यही था की जाने कितने घर ऐसे ही आज होंगे इसी इंतज़ार में जहां बच्चे साल भर दीवली का इंतज़ार करते है और उसी इंतज़ार में रुके रह जाते हैं।।
विनय इतने दीये का करते भी तो क्या??
अचानक उनके मन में कुछ आया और उन सब सभी दुकानों से जहाँ छोटे बच्चे या ऐसे लोग लगाए थे जिनका कोई सामान नही ले रहा था ऐसा करके उन्होंने लगभग 4-5 हज़ार का समान ले लिया था।।
अब इतने समान का वो क्या करने पूरा घर तो वैसे भी उनका भरा पड़ा था
बस इसी सोच के साथ वो पास वाली बस्ती में गए जहाँ उजाले के नाम पर कुछ घरों में बस दीये जल रहे थे
उन्होंने गाड़ी रोकी
और सब समान निकाला
बच्चे अधेड़ सब आस पास उनके जमा हो गए
सब खुश थे समझ रहे थे की आज उनकी भी दीवाली जगमगा जाएगी
उन्होंने सभी को दिये खील, लैया ,मिठाई बच्चो के लिए रंगीन पटाखे बाट दिए।।
विनय आज बहुत खुश थे।सच्चे मायने में इतने साल बाद उन्होंने दीवाली मनाई थी।।इस कदम से एक साथ उन्होंने जाने कितने लोगों की मदद कर दी थी
हां यही तो असली दीवाली
अपना घर तो सब रोशन करते है दूसरो का भी करना यही तो है राम राज्य यही तो है त्योहार,खुद का घर तो सब रोशन करेंगे ,,क्या फायदा आपका उन हज़ार पटाखो का जिससे सिर्फ धूल मिट्टी उडेगी, जाने कितनी बेजुबां जानवर आहात होंगे।।बस शौक कीजिये अति मत कीजिये किसी और को खुशिया बांटिए और सब की दीवाली मनाए
तभी तो होगी एक असली दीवाली खुशी वाली दीवाली
शुभ दीपावली।।
Happy diwali thanks for this lovely story 😊😊😊😊😊👌
ReplyDeleteThankyou
Deleteहर घर मे उजियारे जी चाह रखने वाले विनय को नमन
ReplyDeleteशुक्रिया
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