Saturday, March 30, 2019

ईमानदारी की सजा या जिंदादिली की मिशाल

ईमानदारी की सजा सिर्फ तबादले और मौत होती है इतना ही कहा जा सकता है अब

  जोनल लाइसेंसिंग आथॉरिटी(Drug inspector) के पद पर तैनात  महिला अधिकारी नेहा शोरी की शुक्रवार को उनके कार्यालय में एक व्यक्ति ने गोली मार दी. नेहा शोरी की मौत हो गई

क्या अब ईमानदारी से काम करना इतना बुरा है कि मौत को गले लगाना पड़ेगा

जब देश में बच्चे से लेकर युवा तक एक पारदर्शिता पूर्ण नौकरशाही चाहते है तो क्यू बोलती हुई आवाजे हम नही पचा पा रहे,
साल 2009 में जब वो रोपड़ में तैनात थी तो आरोपी के मेडिकल स्टोर में प्रतिबंधित ड्रग मिले थे और गैरकानूनी दवाएं मिले थी जिसका उन्होंने लाइसेंस निरस्त कर दिया था आरोपी ने उसका बदला लिया, क्या फिर से एक अरसे की थकाऊ लंबी सरकारी जाँच चलेगी तब तक फिर कोई अच्छा काम करने वाला शिकार होगा


तो क्या जब हम ईमानदारी की बड़ी बड़ी डींगे मारते है तो क्या हम ईमानदार लोगो को अपने बीच नही पचा पाते है ना,
कितना दुखद हैं ये कि हम अपने गैर कानूनी कामो को फलते फूलने के लिये किसी की जान ले लेते है
नेहा की एक छोटी सी बच्ची है क्या बताया जाएगा उसे की उसकी माँ ने ईमानदारी के लिये अपनी जान दे दी बच्ची को अकेला कर गई


हम ईमानदारी की बड़ी बड़ी बातें करते है मगर खुद बेमानी करना जानते है। हमे नेहा जैसे महिला इसलिए नही अच्छी लगी क्योंकि ईमानदार थी वो
नही चाहती थी वो, की जो दवाएं प्रतिबंधित है जिनको उपयोग में नही लाना चाहिए
जिन दवाओं का प्रयोग बच्चो युवाओ को नुकसान पहुचायेगा जिसके उपयोग से जाने कितने लोग धीरे धीरे मरेंगे, उसको रखने वाले का लाइसेंस निरस्त करना नेहा की मौत का कारण बनेगा
काश उसने भी भृष्ट नौकरशाही की तरह सोचा होता कुछ पैसे लेकर मामला रफा दफा कर दिया होता।


कोई अफसर तब नही बुरा होता है जब वो रसूखदार अमीरो के स्विस बैंक में जमा गैर कानूनी पैसे पर छापा मारता है, अफसर तब नही बुरा होता जब वो किसी अमीर के महंगी तेज रफ़्तार गाड़ी पर चलान करता है, अफसर तब नही बुरा होता है जब सत्ता की हनक के सामने झुकने से मना कर देता है

अफसर तब बुरा होता है जब वो गरीब की रोटी के पैसे भी ले लेता है
अफसर तब बुरा होता है जो किसी गरीब के 500 के बिजली के बिल को ठीक कराने के लिये, 1000 और लेता है साथ में 10 चक्कर भी लगवाता है।


नेहा तो ईमानदार थी जिसकी सजा उन्हे मिली, कितने लज्जा विहीन है ना अभी हमारी आँखो के सामने सब कुछ होगा एक सभा में एक चुनाव केंद्र में 1 कुर्सी का चार्ज 37.50 रुपये लगेगा वो नही दिखेगा , खाने का एक पैकेट जिसमे मात्र 4 पूरी सब्जी एक मिठाई का टुकड़ा होगा वो 70 रुपये के हिसाब से लाखो का हिसाब होता है क्या हमारे देश का अनाज इतना महंगा हो गया जो 25-30 रुपये की चीज 70 या उससे ज्यादा में मिले, लगने वाली बलियो मेजो हजार रुपये एक दिन के किराये बताए जायेंगे
खैर ये तो एक जगह का आंकड़ा मात्र है

बाबू से लेकर साहब तक सभी शामिल है ऐसे केसो मे उसपे हम सवाल भी नही उठा पाते

लेकिन एक अफसर जिसका बचपन से सपना होगा कि मैं हमेशा ईमानदार ही रहूँगा कभी किसी गरीब को नही मरने नही दूंगा
किसी के हिस्से की रोटी से घर नही भरूंगा वो बस तबादले के शिकार होते है
मार दिये जाते हैं

मगर हमे नेहा जैसे और भी लोग चाहिए हर तरफ चाहिए क्योंकि तुम, 1 ईमानदार इंसान को मारोगे तो उसकी कहानी पढ़कर 10 और ईमानदार बनेंगे

ताकि चील कौओ की लाश की तरह वो नोचे ना जाये बल्कि समाज के लिये मिसाल बन के जीते रहे

 जब चारो तरफ ही ईमानदारी होगी तो कितने अच्छे लोगो का शिकार उन भेड़ियो द्वारा होगा, फिर खुद भेड़ियो को घुटने टेकने होंगे और जंगल छोड़ कर जाना पड़ेगा



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