Saturday, April 20, 2019

वोट -शहर की खुशहाली के लिये

सड़को पर बेतरतीब वाहन अपनी रफ़्तार से भाग रहे थे, अपनी अपनी मंजिल पर पहुँचने के लिये इंतज़ार करते लोग आपा-धापी में एक दूसरे से आगे निकल कर बसो, गाड़ियों में खुद की जगह पहले बना लेना चाहते थे... बेहद व्यस्ततम उस चौराहे पर ठंडी बर्फ, जगह जगह बिकते ठंडे पदार्थ बता रहे थे कितनी उमस हैं आज इस शहर में... तेज भागती बाइको में लड़कियो ने अपना सर अपने प्रेमी के कंधे पर झुका रखा है कार में बैठे प्रेमी जोडे एक अपनी हथेली की उंगलियो को एक दूसरे में ऊलझाये हुये सारी उलझन भूल रहे थे.... बच्चे ice-cream की जिद्द पर ड़ाट खा कर चुपचाप थे... आसमान के सभी पक्षी पूरा आसमान आज नाप लेना चाहते हैं... उस शहर के लोग अन्य शहर के लोगो जैसे ही थे... शहर की उमस और गर्मी देख कर लग रहा था यहाँ पेड़, पौधे काफी कम संख्या में लगाए गये हैं या जो लगाए भी गये थे उनकी देखभाल नही की गई होगी.... शेखर अपनी पत्नी वसुधा और बच्चे कार्तिक के साथ शायद घर जा रहे थे.. आपसी सामंजस्य देख कर खुशी दम्पति मालूम पड़ते थे बच्चा ने शायद बमुश्किल जीवन के 3 वर्ष ही देखे होंगे, अचानक टूटी सड़क की वजह से उनकी गाड़ी डिसबैलेंस होते हुए सामने खुले पड़े गड्ढे में जा गिरी, एक हँसता खेलता परिवार आज एक खराब सड़क की भेट चढ़ चुका था..
थोड़ा आगे जा कर देखा ही था तो  सड़को में कूड़े का अंबार लगा हुआ था.. शहर में एक तरफ तो कुछ इलाके बेहद पाश इलाके थे और एक तरफ लोगो को आज भी मूलभूत सुविधाओ से वंचित किया हुआ था जो उनके हक था.. एक ऐसा शहर जहॉ अन्य शहरो से ज्यादा स्कूल, कॉलेजस, कोचिंग संस्थान थे, अपने राज्य में सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों में उसका ही नाम सबसे आगे रहते.. फैक्ट्रीज, अन्य शहरों से ज्यादा समाजसेवी संगठन, इसमें थे मगर फिर भी शहर की ऐसी दुर्दशा आखिर क्या वजह थी?? देखा, सुना तो पता चला यहाँ के लोग मतदान में काफी पीछे हैं उन्हे कभी अपने शहर के लिये अच्छे माननीय मिले ही नही जो उनके सपनों जैसा शहर बना सके, मतदान में भी ये जाति रिश्तेदारी धर्म सब देखते थे..उनका शहर रो रहा था जाम से, प्रदूषण से, कराह रही थी उनके शहर की नदियाँ जिन्हे वो माँ बोलते थे... खस्ताहाल सड़के और ट्रैफिक समस्या रोज मौत का ग्राफ बढ़ा रही थी क्योंकी लोग अपने लोग जागरूक नही थे उनका वोटिंग प्रतिशत हमेशा कम रहता तो उनके नेता सोचने लगे थे मुझे तो आधे से कम वोटो में भी जीत मिल गई अब तो चुनाव के 3 महीने पहले हर पार्टी प्रमुख को बुला कर, 2-3 रैलियाँ और रोड़ शो हो जायेंगे जीत पक्की ही समझो फिर जो लोग मतदान भी ढंग से नही करते हैं जब वो साल के  एक दिन नही जागरूक होते वो भला क्या करेंगे,उनकी आदत हैं अड्जस्ट कर लेंगे...उनके शहर के नेता ने कभी उनका आवाज किसी संसद में उठाई ही नही थी... मगर जनता इस बार अपने शहर को ऐसे रोते नही देखना चाहती थी उसने सोच लिया था वो इस बार अपने मत अधिकार के प्रति जागरूक होगी,रिकॉर्ड वोटिंग करेगी और जिसको भी नेता चुनेगी हक  से अपने शहर के लिये काम करायेगी, हर समस्या के लिये जाएगी क्योंकि उसने इतनी रेकॉर्ड वोटिंग सिर्फ 5 साल सत्ता की मलाई खाने के लिये नही  चुना था अपने शहर के उत्थान के लिये चुना था अब जिस शहर की जनता रेकॉर्ड वोटिंग कर सकती थी अब अपने शहर के लिये आवाज भी उठवा सकती थी अपने चुने हुये नेता से...


तो इस बार वोटिंग में रिकार्ड बनाने को शहर तैयार था मतलब अपने हक के लिये भी तैयार था..
क्या आप अपने शहर के लिये वोट देने जायेंगे
क्या टूटी सड़के,प्रदूषण से मुक्ति,बच्चो के लिये एक सुरक्षित महौल इन सब के लिए जायेंगे ना आप वोट देने
जायेगा जरूर

#आपका वोट आपका शहर के विकास को नई राह देगा..

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