Monday, March 18, 2019

चौकीदार के मायने

बोलना पढ़ना नाम के आगे जोड़ना सब बहुत असान रहा,ब्रांडिंग और PR लगभग काफी हद तक सफल ही रहा,
 मगर अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से निकल कर देखे हकीकत से रूबरु हो तो किसी भी ATM में हो, घरो में, सोसाइटी में, बिल्डिंग में, कॉलेजस के बाहर चौकीदारों(Chowkidar)  हालत किसी से नही छुपी है,, रातों की नींद हराम करनी पड़ती है लगभग 12 घंटे में से, 6-7 घंटे या कभी कभी कहीं कहीं तो पूरे टाइम ही खड़ा रहना पड़ता हैं, सहाब लोगो को जितनी बार गेट खोलो या उनकी गाड़ी अंदर जाये उतनी बार सलामी भी करनी पड़ती है, रात में अपनी जान की बाजी लगा कर एक सिटी और लाठी के दम पर रखवाली करते है, अक्सर खबर आती है इस चोर ने उस चौकीदार को रात में नुकसान पहुचाया या गोली लग गई कुछ नही होता न्यूज़ पेपर एक हेड लाइन देते है बस उसके बाद उनसे कोई मिलने तक नही जाता कोई भी नेता या सामाजिक स्तर का व्यक्ति
कभी कभी तो जान की बाजी भी लगानी पडती है,  उसमे भी वो जितनी इज्जत डिर्जव करते है उन्हे उतनी नही मिलती कड़वा सच यही है इन उन सब की एवज में ज्यादा से ज्यादा 5000-7000 बस इतने ही सैलेरी मिलती है उसी में घर चलाना, बच्चे की पढ़ाई, घर खर्च कितना कुछ करना पड़ता है अगर कोई ऐसे मैं बीमार पड़ गया तो आप सोच सकते है कि व्यक्ति पर क्या बीतेगी, सिर्फ यही रुपये है, जब तक शरीर साथ देता है आप चौकीदारी भी कर सकते हो, बुढ़ापे का क्या?  वृद्ध अवस्था में जब अमीरो के सहारे उनसे मुह मोड़ लेते है फिर तो उस व्यक्ति के पास इतने भी पैसे नही हो पाते कि बीमार होने पर किसी ढंग के अस्पताल में अपना इलाज करा सके तो ऐसे में एक चौकीदार की जिंदगी से आप बखूबी समझ सकते है

तो अब जब सरकार ने चुनावी महौल में इतना किया ही है तो अब कुछ योजनाये चौकीदार या ऐसे  प्राइवेट काम करने वाले के लिये भी लाये जो सिर्फ उन्हे ध्यान में रखकर हो  जैसे की कोई व्यक्ति अगर चौकीदास है तो उसकी मेडिकल सुविधाये मुफ्त हो या कम पैसे में हो,  जिसमे चौकीदारी से 60 साल की उम् में सेवा मुक्त होने वाले व्यक्ति को बुढ़ापे पेंशन के रूप में एक छोटी रकम जरूर मिले, उनके लिये एक राहत कोष हो जिसमे उनके लिये किसी गंभीर बीमारी, बेटी की शादी या बच्चे की शिक्षा के लिये एक रकम तय हो भले ही कम हो मगर हो ,आचार सहिंता के लिये अगर ऐसा नही हो सकता   मगर बाद में ये सब पालन होना चाहिए वरना फिर इसका भी कोई मतलब नही है।
ऐसे में सरकार एक गरीब वर्ग को बहुत बड़ी राहत देगी, उनके प्रति सम्मान और भी और प्रकट करेगी
उनके जीवन में नई दिशा का काम और अपने इस चुनावी नारे को ज्यादा मजबूत करती हुई दिखेगी।।

 जितने भी चौकीदार(chokidaar campaign) ख रहे है उनपर बिना किसी प्रश्नचिह  लगाये या उनकी बात का विरोध किये बिना मैं ये बात जरूर कहूंगी की अगर सब वास्तव में अपने समाज के चौकीदार बन जाये तो बेटियो की इज्जत, उनको बिना डर के बाहर निकलना, छीटा-कसी जैसे समस्या कम हो जाये, गरीब का घर और किसानो की समस्या सब से काफी हद तक राहत मिले।

बाकी न्याय संगत बात है ये जिन्हें बुरी लगे वो कभी अपने किसी घर वाले सदस्य  या खुद  ऐसे जॉब जमीं पर उतर कर करे तो शायद आपको समझ आएगा।




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