Sunday, September 30, 2018

Vivek tiwari shoot by Lucknow cop

उत्तर प्रदेश पुलिस का एक आम नगरिक पर गोली चलाना आपने में  कई सवाल उत्पन्न कर रहा है !इस प्रकरण   के साथ ही साथ सबकी रक्षा में तत्पर पुलिस पे भी  कई सवाल खड़े है|  लाजमी है क्योकि ये कोई आम मामला नहीं है बहुविख्यात कंपनी जिसके लिए हर engineering या मैनेजमेंट का बच्चा एडमिशन लेता है की हमे ऐसे कंपनी मैं काम करना हैं ,उसमे काम करने वाले #vivektiwari जो दो बच्चियो के पिता थे |  अच्छी खुशहाल  ज़िन्दगी के मालिक जैसे हर एक आम व्यक्ति  होता हैं,रात को कंपनी से आते वक़्त अपनी सहकर्मी सना खान  के साथ रास्ते में कुछ देर के लिए रुकते है जहॉ  उप्र पुलिस के २ सिपाही पेट्रलिंग के लिए  आते है और एन्काउंटर को अंजाम  दे देते हैं फिर शुरु होता है  आरोप प्रत्यारोप का दौर ये केस बानगी भर है क्या किसी आम या गरीब व्यक्ति के साथ यही हुआ होता तो हम सब इतने ही संजीदा होते? लावारिश समझ के ये फाइल ही बंद कर दी जाती।  हा, होता है हमारे समाज बहुत से केसेस में और अगर इस केस सिर्फ मुआवजा देने से क्या किसी की  जान की कीमत लगाए जा सकती है?  समाज में  क्यों  मरने के बाद लोगो की कीमत सिर्फ  कुछ मुआवजा देने से पूरी हो जाती है और केस बंद हो जाता है  उन बच्चियों को उनका पिता जीवन पर्यन्त नहीं मिलेगा उन रुपयों से, माँ को अपना बेटा  और पत्नी को अपना जीवनसाथी नहीं मिलेगा,क्या उम्मीद है कि वो सिपाही अब आगे से ऐसा नहीं करेगा? क्या सिर्फ किसी को मारना ही एक ऑप्शन हो सकता  है?क्या मरने के बाद इन्साफ नहीं चाहिए होता है सिर्फ पैसो से कीमत लगा लेते है,जान की??क्या इतनी सस्ती है किसी की सांसे?

जिस पुलिस  स्टेशन में लोगो को अपनों से मिलने की इजाज़त नहीं होती है वह कैसे आरोपी सिपाही और उसकी पत्नी मीडिया को बुला कर बकायदा #pressconfrenss करते है चीख चिल्ला कर हंगामा करते है|  ये सब क्या है?अब सरकार को चाहिए की इस केस की निष्पछ  जांच कराये और पीड़ित को न्याय दिलाये और केस की सचाई जनता तक लाये जो भी सही या गलत हो जिससे जनता का भरोसा बना रहे और ये शत्रु पुलिस सरे मित्र पुलिस बनने का सफर आसान हो

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